Eye care tips for winter: सर्दियों का मौसम बहुत ही नाजुक माना जाता है। हवा में पानी की कमी होने के कारण चेहरे, बाल और खासकर आंखों को खास देखभाल की जरूरत होती है। सर्दियों के मौसम में आंखों की सही देखभाल न की जाए तो खुजली, जलन और ड्राइनेस की समस्या हो सकती है। ये समस्याएं ज्यादातर चढ़ती सर्दियों में देखने को मिलती है। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब समेत पूरे उत्तर भारत में सर्दी के मौसम की शुरुआत हो चुकी है। इसलिए आज हम आपको बताने जा रहे हैं सर्दियों में आंखों की देखभाल कैसे की जाए
पानी ज्यादा पिएं
सर्दियों का मौसम आते ही ज्यादातर लोग पानी कम पानी शुरू कर देते हैं। पानी कम पीने की वजह से शरीर और आंखों को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। गर्मियों की तरह सर्दियों में भी शरीर का पर्याप्त पानी की जरूरत होती है। सर्दियों में पर्याप्त मात्रा में पानी पीकर आंखों की समस्या से बचा जा सकता है।
टोपी और चश्मा लगाएं
घर से बाहर निकलते वक्त ठंडी हवाएं सीधे आंखों पर अटैक न करे इसके लिए टोपी या चश्मा लगाकर जाएं। आंखों पर चश्मा लगाने से सर्द हवाओं का असर कम हो जाता हैं। साथ ही आंखों की नमी भी बरकरार रहती है।
हीटर से बनाएं दूरी
सर्दियों के मौसम में अक्सर लोग शरीर को गर्मी देने के लिए हीटर का इस्तेमाल करते हैं। हीटर का इस्तेमाल आंखों और स्किन के लिए काफी नुकसानदायक माना जाता है। हीटर से निकलने वाली किरणों से आंखों की नमी सूख जाती है, जिससे जलन और खुजली बढ़ सकती है। अगर आप सर्दी से बचने के लिए हीटर का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो उससे थोड़ी दूरी बनाकर बैठें।
सिंगापुर की सरकार ने लोगों को भीड़भाड़ वाले इलाकों में मास्क पहनने की सलाह दी है। अगर लोग बीमार नहीं हैं तब भी उन्हें मास्क पहनने को कहा जा रहा है।
कोरोना महामारी एक बार फिर डरा रही है। दरअसल सिंगापुर में कोरोना के मामले बढ़कर 56 हजार के पार चले गए हैं। बता दें कि यह आंकड़े बीते हफ्ते के हैं। उससे पिछले हफ्ते यह आंकड़ा 32 हजार था। सिंगापुर के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, बीते हफ्ते में देश में कोरोना के मामलों में 75 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। कोरोना के बढ़ते मामलों के चलते सिंगापुर के स्वास्थ्य मंत्रालय ने 19 दिसंबर से रोजाना कोरोना अपडेट जारी करने का फैसला किया है।
लोगों को मास्क पहनने की सलाह सिंगापुर की सरकार ने लोगों को भीड़भाड़ वाले इलाकों में मास्क पहनने की सलाह दी है। अगर लोग बीमार नहीं हैं तब भी उन्हें मास्क पहनने को कहा जा रहा है। खासकर बुजुर्ग लोगों के साथ रहने वाले लोगों को घर के अंदर भी मास्क पहनने को कहा गया है। सिंगापुर के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि जल्द ही सिंगापुर एक्सपो हॉल नंबर 10 में कोविड मरीजों के लिए बिस्तर लगा दिए जाएंगे। क्राफोर्ड अस्पताल में पहले से ही कोविड मरीजों का इलाज किया जा रहा है।
कोरोना के इस वैरिएंट से संक्रमित हो रहे मरीज मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सिंगापुर में कोरोना संक्रमण के चलते अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या रोजाना औसतन 225-350 है। वहीं संक्रमण के चलते आईसीयू में भर्ती होने वाले मरीजों का रोजाना का औसत 4-9 है। बताया जा रहा है कि अधिकतर संक्रमित मरीज कोरोना के वैरिएंट जेएन.1 से संक्रमित हैं, जो कि बीए.2.86 से संबंधित है। अभी तक की जांच में यह पता चला है कि यह वैरिएंट बहुत ज्यादा ट्रांसमिसिबल (एक मरीज से दूसरे में स्थानांतरित) नहीं है।
भारत में भी बढ़े कोरोना के मामले भारत में भी कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। हालांकि अभी चिंता जैसी कोई बात नहीं है। शुक्रवार को देश में कोरोना के 312 नए मामले सामने आए, इनमें से 280 सिर्फ केरल के हैं। साथ ही जो मरीज संक्रमित मिले हैं, उनमें लक्षण भी बहुत ज्यादा गंभीर नहीं हैं। सरकारी आंकड़े के अनुसार, बीते 24 घंटे में देशभर में 17605 कोरोना टेस्ट किए गए थे।
प्रयागराज मैं आयोजित 45 वे अप स्टेट कॉन्फ्रेंस में गोरखपुर ब्रांच को 14 अवार्ड प्राप्त हुए गोरखपुर ब्रांच को प्रदेश की सर्वश्रेष्ठ ब्रांच का अवार्ड दिया गया
डॉक्टर ए एन को शर्मा बेस्ट सेक्रेटरी, डॉक्टर जे एन शुक्ला को बेस्ट प्रेसिडेंट, डॉक्टर अभिषेक सूर्यवंशी को बेस्ट सीडीएच, डॉक्टर शुभम श्रीवास्तव को बेस्ट साइंटिफिक रनर, डॉक्टर मुदित गुप्ता को बेस्ट स्पोर्ट्स एक्टिविटी, बेस्ट फीमेल विंग अवार्ड,
DR A N SHARMA, DR. ANURAG SRIVASTAVA
डॉ अनुराग श्रीवास्तव को बेस्ट रजिस्ट्रेशन अप स्टेट अवार्ड, डॉक्टर मोनिका श्रीवास्तव का बेस्ट लोकल ब्रांच फीमेल रनर अवार्ड, डॉक्टर चेन कोवाई को एक्सीलेंस अवॉर्ड, डॉ अनुराग श्रीवास्तव को एक्सीलेंस अवॉर्ड, डॉ संजीव श्रीवास्तव को एक्सीलेंस अवॉर्ड, प्रियंका वर्मा को एक्सीलेंस अवॉर्ड डॉक्टर शुभम श्रीवास्तव को एक्सीलेंस अवॉर्ड सम्मानित किया गया
इस तरह इस बार गोरखपुर को 14 अवार्ड से सम्मानित किया गया गोरखपुर ब्रांच के द्वारा किसी भी ब्रांच के मुकाबले अब तक का सर्वश्रेष्ठ अवार्ड प्रदर्शन है इस अवार्ड के लिए मैं अपने सभी मेंबर अपने सभी एग्जीक्यूटिव मेंबर डॉक्टर संजीव कुमार डॉक्टर सिद्धार्थ त्रिपाठी डॉ संजीव गुलाटी डॉक्टर अमित सिंह ,डॉक्टर अमित करमचंद डॉक्टर प्रशांत माथुर, डॉक्टर चैन कोवाइ ,डॉ अनुराग श्रीवास्तव, डॉक्टर जे एन शुक्ला , डॉक्टर प्रवीन सिंह,डॉ विक्रांत सिन्हा,
डॉ अमित कुमार , डॉक्टर अरूण मल,डॉ शिप्रा शाही डॉ आशीष शाही डॉक्टर गरिमा श्रीवास्तव ,डॉक्टर मीनाक्षी राय ,डॉ प्रियंका वर्मा, मोनिका श्रीवास्तव ,डॉक्टर आजम खान,डॉक्टर अतुल यादव, डॉक्टर शिव आशीष गुप्ता और अपने ब्रांच के सभी मेम्बर को बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं जिनके वजह से आज यह सभी अवार्ड गोरखपुर ब्रांच को प्राप्त हुए
दिल्ली में लगातार बढ़ रहा प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है, इससे सांस, हार्ट और फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों के साथ स्किन की समस्याएं भी होने की संभावना है. डॉक्टरों की मानें तो प्रदूषण से सबसे ज्यादा सोरायसिस होने का खतरा है, जो एक स्किन प्रॉब्लम है.
नई दिल्ली:
दिल्ली में हवा की क्वालिटी (Delhi Air Pollution) लगातार गिरती जा रही है. गुरुवार (2 नवंबर) को दिल्ली-एनसीआर की हवा और जहरीली हो गई. काले धुंध ने राजधानी के आसमान को ढक लिया है. SAFAR इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, शाम 5 बजे एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 400 पार हो गया. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया कि अगले 15 दिन राज्य के लिए क्रिटिकल हैं. इस बीच कमीशन फॉर एयर क्वॉलिटी मेनैजमेंट(CAQM) ने एक अहम बैठक के बाद ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान के तीसरे फेज यानी ग्रैप-3 को लागू कर दिया है.
दिल्ली में लगातार बढ़ रहा प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है, इससे सांस, हार्ट और फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों के साथ स्किन की समस्याएं भी होने की संभावना है. डॉक्टरों की मानें तो प्रदूषण से सबसे ज्यादा सोरायसिस होने का खतरा है, जो एक स्किन प्रॉब्लम है. बढ़ते प्रदूषण से लोगों को आंखों में जलन, गले में खराश और दम घुटने की शिकायत हो रही है. यहां तक कि मां के गर्भ में पल रहे बच्चे को भी इस प्रदूषण से दिक्कत हो रही है.
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण से हेल्थ पर पड़ने वाले असर को लेकर NDTV ने मेदांता अस्पताल के डॉक्टर अरविंद कुमार से खास बातचीत की. वो इंस्टिट्यूट ऑफ चेस्ट सर्जरी को लीड करते हैं.
डॉक्टर अरविंद कुमार ने बताया, “शायद 10 साल पहले यह समझा जाता था कि प्रदूषण उत्तर भारत की दिक्कत है. लेकिन अब देश के 98 फीसदी इलाके वायु प्रदुषण से प्रभावित हैं. हम दिल्ली की बात करें तो मुंबई कई बार दिल्ली से आगे होता है. नहीं तो बहुत नजदीक होता है. चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरु, हैदाराबाद. राज्यों के छोटे-छोटे शहर भी प्रदूषण की चपेट में हैं. यह पूरे देश की समस्या है. हमारे बुजुर्ग, हम लोग, हमारी फ्यूचर जनरेशन इससे बुरी तरह से प्रभावित हो रही है.”
प्री मैच्योर डिलिवरी, लंग्स कैंसर, ब्रोंकाइटिस… जानें आपके शरीर को कैसे नुकसान पहुंचा रहा प्रदूषण?
प्री मैच्योर डिलिवरी, लंग्स कैंसर, ब्रोंकाइटिस… जानें आपके शरीर को कैसे नुकसान पहुंचा रहा प्रदूषण?
दिल्ली में लगातार बढ़ रहा प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है, इससे सांस, हार्ट और फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों के साथ स्किन की समस्याएं भी होने की संभावना है. डॉक्टरों की मानें तो प्रदूषण से सबसे ज्यादा सोरायसिस होने का खतरा है, जो एक स्किन प्रॉब्लम है.
नई दिल्ली:
दिल्ली में हवा की क्वालिटी (Delhi Air Pollution) लगातार गिरती जा रही है. गुरुवार (2 नवंबर) को दिल्ली-एनसीआर की हवा और जहरीली हो गई. काले धुंध ने राजधानी के आसमान को ढक लिया है. SAFAR इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, शाम 5 बजे एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 400 पार हो गया. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया कि अगले 15 दिन राज्य के लिए क्रिटिकल हैं. इस बीच कमीशन फॉर एयर क्वॉलिटी मेनैजमेंट(CAQM) ने एक अहम बैठक के बाद ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान के तीसरे फेज यानी ग्रैप-3 को लागू कर दिया है.
दिल्ली में लगातार बढ़ रहा प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है, इससे सांस, हार्ट और फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों के साथ स्किन की समस्याएं भी होने की संभावना है. डॉक्टरों की मानें तो प्रदूषण से सबसे ज्यादा सोरायसिस होने का खतरा है, जो एक स्किन प्रॉब्लम है. बढ़ते प्रदूषण से लोगों को आंखों में जलन, गले में खराश और दम घुटने की शिकायत हो रही है. यहां तक कि मां के गर्भ में पल रहे बच्चे को भी इस प्रदूषण से दिक्कत हो रही है.
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण से हेल्थ पर पड़ने वाले असर को लेकर NDTV ने मेदांता अस्पताल के डॉक्टर अरविंद कुमार से खास बातचीत की. वो इंस्टिट्यूट ऑफ चेस्ट सर्जरी को लीड करते हैं.
डॉक्टर अरविंद कुमार ने बताया, “शायद 10 साल पहले यह समझा जाता था कि प्रदूषण उत्तर भारत की दिक्कत है. लेकिन अब देश के 98 फीसदी इलाके वायु प्रदुषण से प्रभावित हैं. हम दिल्ली की बात करें तो मुंबई कई बार दिल्ली से आगे होता है. नहीं तो बहुत नजदीक होता है. चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरु, हैदाराबाद. राज्यों के छोटे-छोटे शहर भी प्रदूषण की चपेट में हैं. यह पूरे देश की समस्या है. हमारे बुजुर्ग, हम लोग, हमारी फ्यूचर जनरेशन इससे बुरी तरह से प्रभावित हो रही बढ़ते वायु प्रदूषण से हो सकती हैं कौन सी दिक्कतें? बढ़ते वायु प्रदूषण से कौन सी दिक्कतें हो सकती हैं? इसके जवाब में डॉक्टर अरविंद कुमार ने कहा, “प्री मैच्योर डिलिवरी, डिलिवरी से पहले मेडिकल दिक्कतें, बच्चे के जन्म के बाद ब्रोंकाइटिस की समस्या, निमोनिया की समस्या. आई डवलपमेंट कम होना, फेफड़ों की क्षमता कम होना, प्रीम्योचर हाइपरटेंशन, प्रदूषण से दिमाग से लेकर पैर तक हर अंग प्रभावित होता है. यह हमारे लिए बीमारियां पैदा कर रहा है. लाखों की संख्या में प्री म्योचोर डेथ हो रही हैं.”
50 फीसदी लंग कैंसर के मरीज वो जिन्होंने कभी नहीं की स्मोकिंग उन्होंने बताया, “आज 50 फीसदी लंग कैंसर (Lung Cancer) के मरीजे वो हैं, जिन्होंने कभी स्मोकिंग ही नहीं की. अगर आज दिल्ली में AQI 400 पार है, तो यह 20 सिगरेट प्रति दिन पीने के बराबर है. आज दिल्ली में रहने वाला हर इंसान अपने शरीर में रोजाना 20 सिगरेट पीने के बराबर का नुकसान झेल रहा है. हम 25 हजार बार सांस लेते हैं, जिसे हम रोक नहीं सकते.”
यह हेल्थ इमरजेंसी डॉक्टर अरविंद कुमार ने कहा, “मेरे लिए तो यह हेल्थ इमरजेंसी है. सबसे असंतोष और हैरानी की बात है कि हर साल वायु प्रदूषण से पूरे विश्व में कोरोना ने जितने लोग मारे थे, उससे ज्यादा लोगों को बीमारी मिलती है. दम घुटने से लोगों की जान चली जाती है. लेकिन वायु प्रदूषण को इमरजेंसी के तौर पर ट्रिटमेंट
नहीं मिलता, जैसा कि कोरोना को दिया गया था. इससे हमारी आने वाली पीढ़ी को गंभीर नुकसान पहुंच रहा है.”
दिल्ली की जहरीली हवा से लोग कैसे अपना ध्यान रखें? डॉक्टर अरविंद कुमार ने कहा, “मैं पिछले आठ साल से नवंबर, दिसंबर, जनवरी महीने को एनुअल पॉल्यूशन सीजन कहता आ रहा हूं. इस दौरान आपको बेहद सावधानी बरतने की जरूरत है. मास्क लगाना बेहतर होगा. लेकिन कपड़े का मास्क या सर्जिकल मास्क कुछ काम नहीं करते. आपको N95 मास्क लगाना चाहिए. इस मास्क को टाइट लगाएंगे और इससे जितनी बार और जितनी देर आप सांस लेंगे, तो आपको प्रदूषण के पर्टिकुलेट मैटर से छुटकारा मिलेगा.” उन्होंने कहा, “लेकिन सवाल ये है कि क्या हम 24 घंटे मास्क लगाकर काम कर सकते हैं? जाहिर तौर पर ऐसा नहीं किया जा सकता. इसलिए हमें उन कारणों को खोजकर उन्हें खत्म करना होगा, जिससे प्रदूषण बढ़ता है. खासकर कि इस सीजन में.”
गैस भी हमारे क्लाइमेट क्राइसिस में देता है योगदान डॉक्टर अरविंद कुमार ने कहा, “प्रदूषण बढ़ने पर लोग एयर प्यूरीफायर, स्मॉग टावर की बात करते हैं. मैं इसे मज़ाक कहता हूं. एयर प्यूरीफायर दरअसल एक छोटी सी जगह के एयर को प्यूरीफाई कर सकता है, तभी जब कमरे के दरवाजे और खिड़कियां पूरी तरह से बंद हैं. लेकिन क्या पूरा देश अगले तीन महीने के लिए कमरों के अंदर एयर प्यूरीफायर्स लगाकर रह सकता है? बिल्कुल नहीं. यही हमारी सबसे बड़ी दिक्कतें हैं. बहुत से लोग सोचते हैं कि गैस अच्छी होती है. लेकिन ऐसा नहीं है. गैस से भी मेथेन बनती है.
गैस भी हमारे क्लाइमेट क्राइसिस (जलवायु संकट) में योगदान दे रही है.”
डॉक्टर कुमार बताते हैं, “इनसे बचने के लिए एक ऑप्शन है. हमें रिन्यूएबल एनर्जी की तरफ जाना होगा. इसके लिए सिद्धांतपूर्वक कुछ मूलभूत बदलाव करने होंगे. इन चीजों के बारे में हम चर्चा तो खूब करते हैं, लेकिन करते कुछ नहीं. इस मामले में जो गंभीरता चाहिए हमें वो लाने की जरूरत है.”