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हेल्थ

ओरल हाइजीन क्या है? ओरल हाइजीन मुंह की गंदगी और बीमारी से बचाव, इसमें मुख्य रूप से ब्रश करना, जीभ साफ करना, और फ्लॉसिंग शामिल है- डॉ ऋचा

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ओरल हाइजीन क्या है? ओरल हाइजीन मुंह की गंदगी और बीमारी से बचाव के लिए किए जाने वाले सफाई से संबंधित होता है। इसमें मुख्य रूप से ब्रश करना, जीभ साफ करना, और फ्लॉसिंग शामिल है

Oral Hygiene Tips: मुंह की सफाई के लिए केवल दांतों को रोज ब्रश करना काफी नहीं होता है। इसलिए कई लोगों को रोजाना ब्रश करने के बाद भी दांतों में सड़न, पीलेपन की शिकायत रहती है।

डॉ ऋचा के अनुसार खाने, बोलने, मुस्कुराने और भावनाओं को व्यक्त करने की जरूरत हमारे ओरल हाइजीन से प्रभावित होती है। आज के समय में लाखों लोग ओरल डिसऑर्डर से पीड़ित हैं। इसमें दांतों की सड़न और मसूड़ों की बीमारी से लेकर मुंह के कैंसर जैसी समस्याएं शामिल हैं। ओरल हाइजीन में गड़बड़ी (Poor Oral Hygiene) का सबसे आम कारण खाने पीने की खराब आदत है, जो दांतों को तेजी से डैमेज करने काम करते हैं।

Oracura के फाउंडर सागर अवताडे के अनुसार, दांतों की सड़न से बचाव के लिए ब्रश की जगह पावर ब्रशिंग और वॉटर फ्लोसिंग ज्यादा फायदेमंद साबित होता है। वह बताते हैं कि सीडीसी की रिपोर्ट के मुताबिक 20 और उससे अधिक आयु के 90% से अधिक व्यक्तियों में कम से कम एक और 12 से 19 वर्ष की आयु के 57% किशोरों में एक या अधिक दांतों में कैविटी होती है। इसका कारण ओरल हेल्थ को लेकर बरती जाने वाली लापरवाही और नॉलेज की कमी हो सकती है।

​ओरल हेल्थ में खराबी का कारण

डॉ ऋचा के अनुसार शुगर और तंबाकू का अत्यधिक सेवन, फ्लोराइड के अपर्याप्त संपर्क से दर्द और कभी-कभी दांतों के टूटने और इंफेक्शन का खतरा होता है। इसके साथ ही मुंह की अच्छी सफाई के अभाव में दांतों में कैविटी होने की शिकायत भी हो सकती है।

​खराब ओरल हाइजीन के साइड इफेक्ट्स

डॉ ऋचा बताती है मुंह की सड़न क्रोनिक और गंभीर बीमारी के जोखिम को कई गुना तक बढ़ाने का काम कर सकती है। इसमें डायबिटीज से लेकर एचआईवी, डिमेंशिया, अल्जाइमर, कार्डियोवैस्कुलर डिजीज, ब्रर्थ कॉम्प्लिकेशन, ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियां शामिल है।

ब्रश के साथ कभी-कभी पावर ब्रशिंग करना फायदेमंद होता है। पावर ब्रशिंग इलेक्ट्रिक टूथब्रश होता है, जो वाइब्रेशन के साथ दांतों पर गोल-गोल घूमते हुए सफाई करता है। हालांकि ज्यादा बार पावर ब्रशिंग करना दांतों के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए हफ्ते में 1-2 बार ही इसका इस्तेमाल करना चाहिए।

वॉटर फ्लोसिंग से करें दांतो के कोने-कोने की सफाई

वॉटर फ्लॉसिंग से मसूड़े और टूथ लाइन के साथ-साथ दांतों के बीच फंसे भोजन के कण आसानी से हट जाते हैं। वॉटर फ्लॉसर मूल रूप से एक वाटर जेट होता है।

एक्सपर्ट बताते हैं कि ये जेट दांतों के बीच के उन जगहों से गंदगी को साफ करता है, जहां ब्रश नहीं पहुंच पाता है। यह मसूड़ों और दांतों के बीच के प्लाक को भी साफ करता है। इसके साथ ही इम्प्लांट्स, क्राउन और ब्रेसेस की सफाई में भी मदद करता है।

डॉ. ऋचा से जानें कैसे चुनें सही टूथब्रश

FAQ: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

ओरल हाइजीन क्या है?

ओरल हाइजीन मुंह की गंदगी और बीमारी से बचाव के लिए किए जाने वाले सफाई से संबंधित होता है। इसमें मुख्य रूप से ब्रश करना, जीभ साफ करना, और फ्लॉसिंग शामिल है।

ओरल हाइजीन को बेहतर करने के लिए क्या करना चाहिए?

अच्छी ओरल हाइजीन के लिए नियमित ब्रश करना, जीभ साफ करना, और फ्लॉसिंग के साथ डेंटल चेकअप जरूरी है।

क्यों जरूरी है ओरल हाइजीन?

ओरल हाइजीन आपके डेंटल हेल्थ के लिए जरूरी है। इसकी मदद से दांतों में सड़न और इससे होने वाली बीमारियों के जोखिम को कम किया जा सकता है।

खराब ओरल हाइजीन से क्या होता है?

खराब ओरल हाइजीन न केवल दांतों और मसूड़ों में सड़न का कारण बनता है, बल्कि यह हार्ट डिजीज, कैंसर और डायबिटीज से भी संबंधित होता है।

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22 Comments

22 Comments

  1. Naimisha

    October 2, 2023 at 10:09 am

    Superb initiative mam.

  2. Avneesh

    October 2, 2023 at 10:25 am

    Thanks Dr Richa.
    I was wonderful consulting you and I’m satisfied with your service and treatment. Thanks for providing additional knowledge and tips to keep good oral hygiene and healthy tooth.

  3. admin

    October 2, 2023 at 10:38 am

    Nice written by Dr. Richa
    thank you so much for this awareness

  4. Neha Mall

    October 2, 2023 at 10:42 am

    𝓑𝓮𝓪𝓾𝓽𝓲𝓯𝓲𝓵𝓵𝔂 𝓮𝔁𝓹𝓵𝓪𝓲𝓷𝓮𝓭 𝓫𝔂 𝓓𝓻. 𝓡𝓲𝓬𝓱𝓪, 𝓹𝓸𝔀𝓮𝓻 𝓫𝓻𝓾𝓼𝓱𝓲𝓷𝓰 𝔀𝓪𝓼 𝓪 𝓷𝓮𝔀 𝓬𝓸𝓷𝓬𝓮𝓹𝓽 𝓯𝓸𝓻 𝓶𝓮, 𝔀𝓲𝓵𝓵 𝓮𝓷𝓼𝓾𝓻𝓮 𝓽𝓸 𝓪𝓭𝓭 𝓲𝓽 𝓽𝓸 𝓶𝔂 𝓸𝓻𝓪𝓵 𝓱𝔂𝓰𝓲𝓮𝓷𝓮 𝓻𝓸𝓾𝓽𝓲𝓷𝓮.

  5. Chandresh

    October 2, 2023 at 11:00 am

    This information is really very useful for us.Thanks Dr Richa

  6. Abhijeet

    October 2, 2023 at 11:20 am

    Dr. Richa is an amazing dentist!

    I have been going to Dr. Richa for several years now, and I have always had a great experience. She is very knowledgeable and skilled, and she is always willing to take the time to answer my questions and explain my treatment options in detail.

  7. Dr.Richa

    October 2, 2023 at 11:40 am

    Thank you so much…

  8. डॉ. हर्ष पंडित

    October 2, 2023 at 12:30 pm

    बहुत ही अच्छी जानकारी डॉ साहब

  9. Dr.Richa

    October 2, 2023 at 12:59 pm

    Thank you so much everyone..I am happy that I was able to make people aware by giving a message

  10. Dr Akhilesh Semwal

    October 2, 2023 at 1:09 pm

    What Dr. Richa ji told is the real truth. People often do not pay much attention to their teeth and some people take care of them but they do not know how to clean their teeth and what kind of brush should be used.

  11. अशोक कुमार

    October 2, 2023 at 1:24 pm

    ओरल हाइजीन पर अच्छी जानकारी देने के लिए डा॰ॠचा का हार्दिक आभार और इस जानकारी को हमतक पहुँचाने के लिए हिन्दुस्तान नेटवर्क का बहुत बहुत धन्यावाद ।

  12. Dr.Shobhit Srivastava

    October 2, 2023 at 1:36 pm

    Good one Ma’am
    Very informative and useful article.
    Appreciated 👍👍😊

  13. Dr.Shobhit Srivastava

    October 2, 2023 at 1:39 pm

    Good one Ma’am
    Very informative article.
    Appreciated 👍👍😊💐

  14. Radha

    October 2, 2023 at 2:35 pm

    Good lines

  15. Saumya

    October 2, 2023 at 4:30 pm

    Thankyou so much for making a positive difference by giving valuable information.

  16. Honey Ankesh

    October 2, 2023 at 6:05 pm

    Very informative 💫

  17. Gaurav

    October 2, 2023 at 6:31 pm

    Great information. Thank you so much Dr Richa for awareness.

  18. Chandani singh

    October 3, 2023 at 3:53 am

    Thank you so much mam for this information and thanks to easy explain 😊😊🙏🏻

  19. Sameer singh

    October 3, 2023 at 4:27 am

    It’s great discribed

  20. Devendra Srivastava

    October 3, 2023 at 7:38 am

    Thanks for this knowledge, really we don’t know proper brushing, this knowledge is very precious for us to make our oral hygiene.

  21. Vijay Mishra

    October 3, 2023 at 1:08 pm

    इस जानकारी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद मैम और आसान तरीके से समझाने के लिए धन्यवाद 😃🙏

  22. Dhirendra Kumar

    October 3, 2023 at 4:49 pm

    Very informative & important information by Dr richa.
    Deep information about hygiene impressive.
    Waiting for next article

    Thanks & good luck..

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दुनिया

Covid 19: क्या फिर लौट रही कोरोना महामारी? सिंगापुर में 56 हजार मामले सामने आए, लोगों से मास्क पहनने की अपील

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सिंगापुर की सरकार ने लोगों को भीड़भाड़ वाले इलाकों में मास्क पहनने की सलाह दी है।  अगर लोग बीमार नहीं हैं तब भी उन्हें मास्क पहनने को कहा जा रहा है।

कोरोना महामारी एक बार फिर डरा रही है। दरअसल सिंगापुर में कोरोना के मामले बढ़कर 56 हजार के पार चले गए हैं। बता दें कि यह आंकड़े बीते हफ्ते के हैं। उससे पिछले हफ्ते यह आंकड़ा 32 हजार था। सिंगापुर के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, बीते हफ्ते में देश में कोरोना के मामलों में 75 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। कोरोना के बढ़ते मामलों के चलते सिंगापुर के स्वास्थ्य मंत्रालय ने 19 दिसंबर से रोजाना कोरोना अपडेट जारी करने का फैसला किया है। 

लोगों को मास्क पहनने की सलाह
सिंगापुर की सरकार ने लोगों को भीड़भाड़ वाले इलाकों में मास्क पहनने की सलाह दी है।  अगर लोग बीमार नहीं हैं तब भी उन्हें मास्क पहनने को कहा जा रहा है। खासकर बुजुर्ग लोगों के साथ रहने वाले लोगों को घर के अंदर भी मास्क पहनने को कहा गया है। सिंगापुर के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि जल्द ही सिंगापुर एक्सपो हॉल नंबर 10 में कोविड मरीजों के लिए बिस्तर लगा दिए जाएंगे। क्राफोर्ड अस्पताल में पहले से ही कोविड मरीजों का इलाज किया जा रहा है। 

कोरोना के इस वैरिएंट से संक्रमित हो रहे मरीज
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सिंगापुर में कोरोना संक्रमण के चलते अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या रोजाना औसतन 225-350 है। वहीं संक्रमण के चलते आईसीयू में भर्ती होने वाले मरीजों का रोजाना का औसत 4-9 है। बताया जा रहा है कि अधिकतर संक्रमित मरीज कोरोना के वैरिएंट जेएन.1 से संक्रमित हैं, जो कि बीए.2.86 से संबंधित है। अभी तक की जांच में यह पता चला है कि यह वैरिएंट बहुत ज्यादा ट्रांसमिसिबल (एक मरीज से दूसरे में स्थानांतरित) नहीं है। 

भारत में भी बढ़े कोरोना के मामले
भारत में भी कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। हालांकि अभी चिंता जैसी कोई बात नहीं है। शुक्रवार को देश में कोरोना के 312 नए मामले सामने आए, इनमें से 280 सिर्फ केरल के हैं। साथ ही जो मरीज संक्रमित मिले हैं, उनमें लक्षण भी बहुत ज्यादा गंभीर नहीं हैं। सरकारी आंकड़े के अनुसार, बीते 24 घंटे में देशभर में 17605 कोरोना टेस्ट किए गए थे। 

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राज्य

प्रयागराज मैं आयोजित 45 वे अप स्टेट कॉन्फ्रेंस में गोरखपुर ब्रांच को 14 अवार्ड प्राप्त हुए गोरखपुर ब्रांच को प्रदेश की सर्वश्रेष्ठ ब्रांच का अवार्ड दिया गया

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डॉक्टर ए एन को शर्मा बेस्ट सेक्रेटरी, डॉक्टर जे एन शुक्ला को बेस्ट प्रेसिडेंट, डॉक्टर अभिषेक सूर्यवंशी को बेस्ट सीडीएच, डॉक्टर शुभम श्रीवास्तव को बेस्ट साइंटिफिक रनर, डॉक्टर मुदित गुप्ता को बेस्ट स्पोर्ट्स एक्टिविटी, बेस्ट फीमेल विंग अवार्ड,

DR A N SHARMA, DR. ANURAG SRIVASTAVA

डॉ अनुराग श्रीवास्तव को बेस्ट रजिस्ट्रेशन अप स्टेट अवार्ड, डॉक्टर मोनिका श्रीवास्तव का बेस्ट लोकल ब्रांच फीमेल रनर अवार्ड, डॉक्टर चेन कोवाई को एक्सीलेंस अवॉर्ड, डॉ अनुराग श्रीवास्तव को एक्सीलेंस अवॉर्ड, डॉ संजीव श्रीवास्तव को एक्सीलेंस अवॉर्ड, प्रियंका वर्मा को एक्सीलेंस अवॉर्ड डॉक्टर शुभम श्रीवास्तव को एक्सीलेंस अवॉर्ड सम्मानित किया गया

इस तरह इस बार गोरखपुर को 14 अवार्ड से सम्मानित किया गया गोरखपुर ब्रांच के द्वारा किसी भी ब्रांच के मुकाबले अब तक का सर्वश्रेष्ठ अवार्ड प्रदर्शन है इस अवार्ड के लिए मैं अपने सभी मेंबर अपने सभी एग्जीक्यूटिव मेंबर डॉक्टर संजीव कुमार डॉक्टर सिद्धार्थ त्रिपाठी डॉ संजीव गुलाटी डॉक्टर अमित सिंह ,डॉक्टर अमित करमचंद डॉक्टर प्रशांत माथुर, डॉक्टर चैन कोवाइ ,डॉ अनुराग श्रीवास्तव, डॉक्टर जे एन शुक्ला , डॉक्टर प्रवीन सिंह,डॉ विक्रांत सिन्हा,

डॉ अमित कुमार , डॉक्टर अरूण मल,डॉ शिप्रा शाही डॉ आशीष शाही डॉक्टर गरिमा श्रीवास्तव ,डॉक्टर मीनाक्षी राय ,डॉ प्रियंका वर्मा, मोनिका श्रीवास्तव ,डॉक्टर आजम खान,डॉक्टर अतुल यादव, डॉक्टर शिव आशीष गुप्ता और अपने ब्रांच के सभी मेम्बर को बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं जिनके वजह से आज यह सभी अवार्ड गोरखपुर ब्रांच को प्राप्त हुए

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हेल्थ

प्री मैच्योर डिलिवरी, लंग्स कैंसर, ब्रोंकाइटिस… जानें आपके शरीर को कैसे नुकसान पहुंचा रहा प्रदूषण?

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दिल्ली में लगातार बढ़ रहा प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है, इससे सांस, हार्ट और फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों के साथ स्किन की समस्याएं भी होने की संभावना है. डॉक्टरों की मानें तो प्रदूषण से सबसे ज्यादा सोरायसिस होने का खतरा है, जो एक स्किन प्रॉब्लम है.

नई दिल्ली: 

दिल्ली में हवा की क्वालिटी (Delhi Air Pollution) लगातार गिरती जा रही है. गुरुवार (2 नवंबर) को दिल्ली-एनसीआर की हवा और जहरीली हो गई. काले धुंध ने राजधानी के आसमान को ढक लिया है. SAFAR इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, शाम 5 बजे एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 400 पार हो गया. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया कि अगले 15 दिन राज्य के लिए क्रिटिकल हैं. इस बीच कमीशन फॉर एयर क्वॉलिटी मेनैजमेंट(CAQM) ने एक अहम बैठक के बाद ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान के तीसरे फेज यानी ग्रैप-3 को लागू कर दिया है.

दिल्ली में लगातार बढ़ रहा प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है, इससे सांस, हार्ट और फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों के साथ स्किन की समस्याएं भी होने की संभावना है. डॉक्टरों की मानें तो प्रदूषण से सबसे ज्यादा सोरायसिस होने का खतरा है, जो एक स्किन प्रॉब्लम है. बढ़ते प्रदूषण से लोगों को आंखों में जलन, गले में खराश और दम घुटने की शिकायत हो रही है. यहां तक कि मां के गर्भ में पल रहे बच्चे को भी इस प्रदूषण से दिक्कत हो रही है. 

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण से हेल्थ पर पड़ने वाले असर को लेकर NDTV ने मेदांता अस्पताल के डॉक्टर अरविंद कुमार से खास बातचीत की. वो इंस्टिट्यूट ऑफ चेस्ट सर्जरी को लीड करते हैं.

डॉक्टर अरविंद कुमार ने बताया, “शायद 10 साल पहले यह समझा जाता था कि प्रदूषण उत्तर भारत की दिक्कत है. लेकिन अब देश के 98 फीसदी इलाके वायु प्रदुषण से प्रभावित हैं. हम दिल्ली की बात करें तो मुंबई कई बार दिल्ली से आगे होता है. नहीं तो बहुत नजदीक होता है. चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरु, हैदाराबाद. राज्यों के छोटे-छोटे शहर भी प्रदूषण की चपेट में हैं. यह पूरे देश की समस्या है. हमारे बुजुर्ग, हम लोग, हमारी फ्यूचर जनरेशन इससे बुरी तरह से प्रभावित हो रही है.”

प्री मैच्योर डिलिवरी, लंग्स कैंसर, ब्रोंकाइटिस… जानें आपके शरीर को कैसे नुकसान पहुंचा रहा प्रदूषण?

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प्री मैच्योर डिलिवरी, लंग्स कैंसर, ब्रोंकाइटिस… जानें आपके शरीर को कैसे नुकसान पहुंचा रहा प्रदूषण?

दिल्ली में लगातार बढ़ रहा प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है, इससे सांस, हार्ट और फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों के साथ स्किन की समस्याएं भी होने की संभावना है. डॉक्टरों की मानें तो प्रदूषण से सबसे ज्यादा सोरायसिस होने का खतरा है, जो एक स्किन प्रॉब्लम है.

नई दिल्ली: 

दिल्ली में हवा की क्वालिटी (Delhi Air Pollution) लगातार गिरती जा रही है. गुरुवार (2 नवंबर) को दिल्ली-एनसीआर की हवा और जहरीली हो गई. काले धुंध ने राजधानी के आसमान को ढक लिया है. SAFAR इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, शाम 5 बजे एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 400 पार हो गया. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया कि अगले 15 दिन राज्य के लिए क्रिटिकल हैं. इस बीच कमीशन फॉर एयर क्वॉलिटी मेनैजमेंट(CAQM) ने एक अहम बैठक के बाद ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान के तीसरे फेज यानी ग्रैप-3 को लागू कर दिया है.

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दिल्ली में लगातार बढ़ रहा प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है, इससे सांस, हार्ट और फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों के साथ स्किन की समस्याएं भी होने की संभावना है. डॉक्टरों की मानें तो प्रदूषण से सबसे ज्यादा सोरायसिस होने का खतरा है, जो एक स्किन प्रॉब्लम है. बढ़ते प्रदूषण से लोगों को आंखों में जलन, गले में खराश और दम घुटने की शिकायत हो रही है. यहां तक कि मां के गर्भ में पल रहे बच्चे को भी इस प्रदूषण से दिक्कत हो रही है. 

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण से हेल्थ पर पड़ने वाले असर को लेकर NDTV ने मेदांता अस्पताल के डॉक्टर अरविंद कुमार से खास बातचीत की. वो इंस्टिट्यूट ऑफ चेस्ट सर्जरी को लीड करते हैं.

डॉक्टर अरविंद कुमार ने बताया, “शायद 10 साल पहले यह समझा जाता था कि प्रदूषण उत्तर भारत की दिक्कत है. लेकिन अब देश के 98 फीसदी इलाके वायु प्रदुषण से प्रभावित हैं. हम दिल्ली की बात करें तो मुंबई कई बार दिल्ली से आगे होता है. नहीं तो बहुत नजदीक होता है. चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरु, हैदाराबाद. राज्यों के छोटे-छोटे शहर भी प्रदूषण की चपेट में हैं. यह पूरे देश की समस्या है. हमारे बुजुर्ग, हम लोग, हमारी फ्यूचर जनरेशन इससे बुरी तरह से प्रभावित हो रही बढ़ते वायु प्रदूषण से हो सकती हैं कौन सी दिक्कतें?
बढ़ते वायु प्रदूषण से कौन सी दिक्कतें हो सकती हैं? इसके जवाब में डॉक्टर अरविंद कुमार ने कहा, “प्री मैच्योर डिलिवरी, डिलिवरी से पहले मेडिकल दिक्कतें, बच्चे के जन्म के बाद ब्रोंकाइटिस की समस्या, निमोनिया की समस्या. आई डवलपमेंट कम होना, फेफड़ों की क्षमता कम होना, प्रीम्योचर हाइपरटेंशन, प्रदूषण से दिमाग से लेकर पैर तक हर अंग प्रभावित होता है. यह हमारे लिए बीमारियां पैदा कर रहा है. लाखों की संख्या में प्री म्योचोर डेथ हो रही हैं.” 

50 फीसदी लंग कैंसर के मरीज वो जिन्होंने कभी नहीं की स्मोकिंग
उन्होंने बताया, “आज 50 फीसदी लंग कैंसर (Lung Cancer) के मरीजे वो हैं, जिन्होंने कभी स्मोकिंग ही नहीं की. अगर आज दिल्ली में AQI 400 पार है, तो यह 20 सिगरेट प्रति दिन पीने के बराबर है. आज दिल्ली में रहने वाला हर इंसान अपने शरीर में रोजाना 20 सिगरेट पीने के बराबर का नुकसान झेल रहा है. हम 25 हजार बार सांस लेते हैं, जिसे हम रोक नहीं सकते.”

यह हेल्थ इमरजेंसी
डॉक्टर अरविंद कुमार ने कहा, “मेरे लिए तो यह हेल्थ इमरजेंसी है. सबसे असंतोष और हैरानी की बात है कि हर साल वायु प्रदूषण से पूरे विश्व में कोरोना ने जितने लोग मारे थे, उससे ज्यादा लोगों को बीमारी मिलती है. दम घुटने से लोगों की जान चली जाती है. लेकिन वायु प्रदूषण को इमरजेंसी के तौर पर ट्रिटमेंट

नहीं मिलता, जैसा कि कोरोना को दिया गया था. इससे हमारी आने वाली पीढ़ी को गंभीर नुकसान पहुंच रहा है.”

दिल्ली की जहरीली हवा से लोग कैसे अपना ध्यान रखें?
डॉक्टर अरविंद कुमार ने कहा, “मैं पिछले आठ साल से नवंबर, दिसंबर, जनवरी महीने को एनुअल पॉल्यूशन सीजन कहता आ रहा हूं. इस दौरान आपको बेहद सावधानी बरतने की जरूरत है. मास्क लगाना बेहतर होगा. लेकिन कपड़े का मास्क या सर्जिकल मास्क कुछ काम नहीं करते. आपको N95 मास्क लगाना चाहिए. इस मास्क को टाइट लगाएंगे और इससे जितनी बार और जितनी देर आप सांस लेंगे, तो आपको प्रदूषण के पर्टिकुलेट मैटर से छुटकारा मिलेगा.” उन्होंने कहा, “लेकिन सवाल ये है कि क्या हम 24 घंटे मास्क लगाकर काम कर सकते हैं? जाहिर तौर पर ऐसा नहीं किया जा सकता. इसलिए हमें उन कारणों को खोजकर उन्हें खत्म करना होगा, जिससे प्रदूषण बढ़ता है. खासकर कि इस सीजन में.”

गैस भी हमारे क्लाइमेट क्राइसिस में देता है योगदान
डॉक्टर अरविंद कुमार ने कहा, “प्रदूषण बढ़ने पर लोग एयर प्यूरीफायर, स्मॉग टावर की बात करते हैं. मैं इसे मज़ाक कहता हूं. एयर प्यूरीफायर दरअसल एक छोटी सी जगह के एयर को प्यूरीफाई कर सकता है, तभी जब कमरे के दरवाजे और खिड़कियां पूरी तरह से बंद हैं. लेकिन क्या पूरा देश अगले तीन महीने के लिए कमरों के अंदर एयर प्यूरीफायर्स लगाकर रह सकता है? बिल्कुल नहीं. यही हमारी सबसे बड़ी दिक्कतें हैं. बहुत से लोग सोचते हैं कि गैस अच्छी होती है. लेकिन ऐसा नहीं है. गैस से भी मेथेन बनती है.

गैस भी हमारे क्लाइमेट क्राइसिस (जलवायु संकट) में योगदान दे रही है.”

डॉक्टर कुमार बताते हैं, “इनसे बचने के लिए एक ऑप्शन है. हमें रिन्यूएबल एनर्जी की तरफ जाना होगा. इसके लिए सिद्धांतपूर्वक कुछ मूलभूत बदलाव करने होंगे. इन चीजों के बारे में हम चर्चा तो खूब करते हैं, लेकिन करते कुछ नहीं. इस मामले में जो गंभीरता चाहिए हमें वो लाने की जरूरत है.” 

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