प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 73वें जन्मदिन के उपलक्ष्य पर देशभर में अनेक कार्यक्रम किए गए. हर कार्यक्रम का रंग अलग-अलग था. अपने जन्मदिन पर प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली के द्वारका में यशोभूमि इंटरनेशनल कनवेंशन सेंटर का उद्धाटन किया और मेट्रो में सफर के दौरान बच्चों से बातें की. वहीं नमो ऐप पर तमाम बच्चों ने उन्हें अनोखे अंदाज में बधाई भेजी.
रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 73वें जन्म दिन पर देश के कोने-कोने से शुभकमानएं देने वालों का तांता लगा रहा. उनका जन्म 17 सितंबर को मनाया जाता है. हर किसी ने उनके जन्म दिन पर अलग-अलग अंदाज में उन्हें बधाई भेजी. नमो ऐप पर प्रधानमंत्री मोदी को जन्म दिन की शुभकामनाएं भेजने वाले काफी तादाद में नजर आए हैं. सबसे खास बात ये कि यहां सैकड़ों बच्चे भी पीएम मोदी को अपने-अपने अंदाज में पीएम मोदी को बधाई देते देखे गए. हर बच्चे का अंदाज अनोखा और निराला है. हर उम्र के इन बच्चोें ने अपना-अपना वीडियो बनाकर नमो ऐप पर अपलोड किया था. कोई गाकर तो कोई तोतली आवाज में प्रधानमंत्री मोदी को बधाई दे रहे थे.
Bihar News : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पाला बदलने की खबरों के बीच गणतंत्र दिवस की छुट्टी के दिन अचानक आईएएस अफसरों के बड़े पैमाने पर तबादले की खबर सामने आयी। सबसे चौंकाने वाला नाम केके पाठक से विवाद करने वाले पटना डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह का है।
राष्ट्रीय जनता दल कोटे के मंत्री प्रो. चंद्रशेखर के बाद अब बारी पटना के जिलाधिकारी डॉ. चंद्रशेखर सिंह की आ गई। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक से विवाद के बाद पिछले दिनों प्रो. चंद्रशेखर का विभाग बदला गया था। अब ठंड की छुट्टी को लेकर पटना डीएम ने धारा 144 के अधिकार की बात पर उनसे भिड़ने की कोशिश की तो सरकार ने आईएएस तबादला सूची में सबसे ऊपर उनका नाम रखा। वह भी तब, जबकि खुद सरकार की स्थिति ऊहापोह वाली है। शुक्रवार को गणतंत्र दिवस की छुट्टी के दिन आईएएस तबादले की सूची जारी हुई, जिसमें पटना डीएम की जिम्मेदारी तेजतर्रार और ऊर्जावान आईएएस अधिकारी के रूप में चर्चित शीर्षत कपिल अशोक को दी गई।
पटना डीएम का बदला काम पहले देखिए 2010 बैच के आईएएस अधिकारी चंद्रशेखर सिंह पटना के जिलाधिकारी एवं समाहर्ता के रूप में जिम्मेदारी निभाते हुए पटना के बंदोबस्त पदाधिकारी के अतिरिक्त प्रभार में भी थे। उन्हें अगले आदेश तक मुख्यमंत्री सचिवालय में विशेष सचिव की जिम्मेदारी दी गई है। चंद्रशेखर सिंह को अगले आदेश तक जीविका का मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी भी बनाया गया है। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक से विवाद के बाद मंत्री की तरह उनके भी तबादले की चर्चा चल रही थी और अब भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की ट्रांसफर सूची में सबसे पहला नाम चंद्रशेखर सिंह का ही है। उन्हें बाकी चीजों के साथ बिहार राज्य पथ विकास निगम पटना के प्रबंध निदेशक और राज्य ग्रामीण जीविकोपार्जन का राज्य मिशन निदेशक की भी जिम्मेदारी दी गई है।
पटना के डीएम बने शीर्षत कपिल अशोक 2011 बैच के आईएएस अधिकारी शीर्षक कपिल अशोक को पटना का जिलाधिकारी व समाहर्ता बनाया गया है। पटना के जिला दंडाधिकारी की भी जिम्मेदारी उनके पास रहेगी। शीर्षक कपिल अशोक अब तक कारा एवं सुधार सेवाएं बिहार के महानिरीक्षक की जिम्मेदारी निभा रहे थे। उनके पास गृह विभाग के अपर सचिव और बिहार राज्य पथ विकास निगम लिमिटेड पटना के प्रबंध निदेशक का अतिरिक्त प्रभार भी था।
इनका भी हो गया ट्रांसफर 2011 बैच के रजनीकांत को लखीसराय का डीएम बनाया गया है। वह अबतक बिहार राज्य खाद्य एवं और सैनिक आपूर्ति निगम के मुख्य महाप्रबंधक के पद पर कार्यरत थे। 2013 बैच के नवल किशोर चौधरी को भागलपुर का डीएम बनाया गया है। साथ ही वह बंदोबस्त पदाधिकारी का अतिरिक्त प्रभार भी संभालेंगे। वह अबतक गोपालगंज के डीएम थे। 2013 बैच के सुब्रत कुमार सेन को मुजफ्फरपुर का डीएम बनाया गया है। इसके साथ ही उन्हें बंदोबस्त पदाधिकारी का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया है। वह अबतक भागलपुर के डीएम थे। 2013 बैच के मोहम्मद मकसूद आलम को गोपालगंज का डीएम बनाया गया है। मोहम्मद मकसूद आलम अगले आदेश तक बंदोबस्त पदाधिकारी के अतिरिक्त प्रभार गोपालगंज रहेंगे। वह वर्तमान समय में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आप्त सचिव के पद पर पदस्थापित थे।
झारखंड की राजधानी रांची में रहने वाले प्रेम गुप्ता कुछ दिन पहले अचानक ख़बरों का हिस्सा बन गए थे.
ईंट भट्ठा चलाने वाले प्रेम की तस्वीरें और वीडियो मीडिया और सोशल मीडिया पर वायरल हो गए. इसकी वजह थी- उनका अपनी बेटी के तलाक़ लेने के फ़ैसले का स्वागत करना.
प्रेम गुप्ता की इकलौती बेटी साक्षी गुप्ता की कुछ महीने पहले ही शादी हुई थी. लेकिन कुछ वजहों से शादी चल नहीं सकी और उन्होंने रिश्ता ख़त्म करने का फ़ैसला किया.
साक्षी ने जब ये बात अपने पिता को बताई तो उन्होंने न सिर्फ़ बेटी के इस फ़ैसले का स्वागत किया बल्कि उन्हें धूम-धाम से वापस घर ले आए.
क्या सोचकर लिया फ़ैसला?
रांची के किशोरगंज इलाक़े में रहने वाले प्रेम गुप्ता कुछ दिन पहले ही अपनी बेटी को ससुराल से वापस लेकर आए थे. उनकी बेटी की घर वापसी उसी अंदाज़ में हुई, जिस अंदाज़ में वह अपने घर से विदा होकर ससुराल पहुंची थीं. बेटी को इस अंदाज़ में घर वापस लाने का फ़ैसला प्रेम गुप्ता का था.
प्रेम गुप्ता ने बीबीसी को बताया कि उन्होंने ये फ़ैसला समाज को ध्यान में रखते हुए लिया.
वो कहते हैं, ”हमने बहुत सारा पैसा ख़र्च करके अपनी बेटी की शादी की थी. लेकिन जब हमें इस स्थिति के बारे में पता चला तो हमने तय किया कि जब मेरी बेटी ग़लत नहीं है तो क्यों न उसे सम्मानपूर्वक घर लाया जाए, ताकि समाज ये न कह सके कि प्रेम गुप्ता की बेटी गलत है, वह शादी निभा नहीं पाई.”
जब प्रेम अपने इस फ़ैसले के बारे में बता रहे थे तो वहां साक्षी गुप्ता भी मौजूद थीं.
साक्षी गुप्ता ने बीबीसी के साथ उन पलों को साझा किया जब उन्होंने पिता को बैंड बाजे के साथ देखा.
वह कहती हैं, ”उस दिन पहला नवरात्र था. पापा ने कहा कि इसी दिन लक्ष्मी को घर वापस लाएंगे. मैं सामान पैक कर रही थी, तभी मुझे ढोल-नगाड़ों की आवाज सुनाई दी. मुझे लगा कि कोई बारात जा रही है. लेकिन जब बाहर आकर देखा कि ये तो मेरे पिता थे, मेरा परिवार था. मैं चौंक गई.”
साक्षी आगे कहती हैं, ”बाहर निकलने से पहले मैं शादी की तस्वीरें देख रही थी. तस्वीरों को देखकर बुरा लगा, दर्द हुआ. निकलने से पहले मैंने उन्हें फाड़ दिया. जब मैं बाहर निकली और पापा ने मेरे कंधे पर हाथ रखा तो मुझे उनके चेहरे पर स्माइल दिखी. इससे मुझे लगा कि मेरे पापा दुखी नहीं, बल्कि बहुत ख़ुश हैं.”
साक्षी बताती हैं कि उनके पिता लड़कियों को लक्ष्मी मानते हैं और उन्हें ही नहीं, घर की सभी लड़कियों को बहुत प्यार करते हैं.
वह कहती हैं, ”मेरे पिता ने जो निर्णय लिया है, वो अपनी बेटी के लिए हर पिता को लेना चाहिए.”
भविष्य को लेकर आशाएं
साक्षी कहती हैं, ”पापा ने रोते हुए विदा किया था मगर लेने आए तो हंसते हुए. यह देखकर, वो जो डायवोर्सी का टैग लगता है, उसका बोझ थोड़ा कम हो गया.”
“आज जब मैं कहीं भी जाती हूं तो बहुत गर्व महसूस करती हूं. मेरे माता-पिता ने मुझे पहले की तरह नॉर्मल लाइफ़ दी है. उस रिलेशनशिप में मेरी कोई ग़लती नहीं थी. पास्ट को तो भूल नहीं पाऊंगी, लेकिन वो दर्द बहुत कम हो गया है.”
आगे की ज़िंदगी के सवाल पर साक्षी कहती हैं कि वह आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने की दिशा में काम करना चाहती हैं.
वह कहती हैं, ”मैंने फैशन डिज़ाइनिंग में ग्रैजुएशन की है. अब मैं दोबारा अपनी पढ़ाई शुरू करने जा रही हूं. एक छोटा सा सपना है कि अपना बुटीक खोलूं. मुझे कपड़ों में बहुत रुचि है. ”
वो बताती हैं, ”फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम पर मुझे अपने जैसी कई लड़कियों के मैसेज आ रहे हैं. मैंने कई लड़कियों को रास्ता दिखाया है. आगे भी ऐसा करती रहूंगी.”
वहीं प्रेम गुप्ता कहते हैं, ”मैं ऐसी लड़कियों से कहना चाहता हूं कि अपने माता-पिता से बातें साझा करें और अभिभावक भी अपनी बेटी को सपोर्ट करें.”
दूरसंचार विभाग ने मंगलवार को एक आपातकालीन मैसेज भेजा, इससे घबराने की जरूरत नहीं है। यह एक ट्रायल मैसेज है, जो विभाग द्वारा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सहयोग से आपदा के समय पर चेतावनी जारी करने से लिए तैयार किए गए सेल ब्राडकास्ट अलर्ट सिस्टम के परीक्षण के तहत भेजा गया। यह किसी आपाताकाल का संकेत नहीं था।
गोरखपुर शहर से लेकर देहात तक के मोबाइल उपभोक्ताओं का फोन अचानक अलर्ट अलार्म देने लगा। मोबाइल पर एक संदेश भी था। इसे देखकर हर काई परेशान हो गया। लोगों को कुछ समझ में नहीं आ रहा था। हर मोबाइल उपभोक्ता सहम कर यह जानने में जुट गए कि आखिर इसका मतलब क्या है और क्या कहीं इससे किसी को कोई खतरा तो नहीं है?
दरअसल, दूरसंचार विभाग ने मंगलवार को एक आपातकालीन मैसेज भेजा, इससे घबराने की जरूरत नहीं है। यह एक ट्रायल मैसेज है, जो विभाग द्वारा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सहयोग से आपदा के समय पर चेतावनी जारी करने से लिए तैयार किए गए सेल ब्राडकास्ट अलर्ट सिस्टम के परीक्षण के तहत भेजा गया। यह किसी आपाताकाल का संकेत नहीं था।
दूरसंचार विभाग निदेशक प्रौद्योगिकी डीके गुप्ता ने बताया कि सेल ब्राडकास्ट अलर्ट सिस्टम एक अत्याधुनिक तकनीक है। केवल इसका परीक्षण किया जा रहा है। स्मार्टफोन यूजर्स के मोबाइल पर ‘तेज बीप’ की आवाज के साथ ‘इमरजेंसी अलर्ट: सर्वर’ का फ्लैश मैसेज ट्रायल से पहले भेजे गए। इसमें स्पष्ट लिखा था कि आपको इस पर ध्यान देने या परेशान होने की जरूरत नहीं है।
‘ये मैसेज टेस्ट NDMA यानी नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के पैन-इंडिया इमरजेंसी अलर्ट सिस्टम का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य सार्वजनिक सुरक्षा बढ़ाना और आपात स्थिति के दौरान समय पर अलर्ट करना है।’