Business

ULIP पर लगेगा इक्विटी म्यूचुअल फंड जैसा टैक्स, यहां जानें धारा 10(10D) के क्या हैं नियम

Published

on

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के FAQs में कहा गया है, “अगर सेक्शन 10(10डी) की शर्तें पूरी नहीं होती हैं, तो बीमा पॉलिसी के तहत मिलने वाले रिटर्न कैपिटल गेन्स टैक्स (यूनिट-लिंक्ड बीमा पॉलिसी के लिए) या अन्य स्रोतों से इनकम (यूएलआईपी के अलावा अन्य पॉलिसी के लिए) के रूप में टैक्स लगाया जा सकता है।”

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के FAQs में कहा गया है, “अगर सेक्शन 10(10डी) की शर्तें पूरी नहीं होती हैं, तो बीमा पॉलिसी के तहत मिलने वाले रिटर्न कैपिटल गेन्स टैक्स (यूनिट-लिंक्ड बीमा पॉलिसी के लिए) या अन्य स्रोतों से इनकम (यूएलआईपी के अलावा अन्य पॉलिसी के लिए) के रूप में टैक्स लगाया जा सकता है।”

Unit Linked Insurance Policy: 1 फरवरी को पेश हुए बजट 2025 ने यूनिट-लिंक्ड इंश्योरेंस पॉलिसी (ULIP) के रिडेम्प्शन या मैच्योरिटी इनकम के टैक्सेशन को लेकर काफी कुछ क्लियर कर दिया है। एक साल में कुल 2.5 लाख रुपये से ज्यादा प्रीमियम वाली ULIP सेक्शन 10(10D) के तहत टैक्स छूट के लिए योग्य नहीं हैं। इसके साथ ही अब ऐसी पॉलिसी को इक्विटी-ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड माना जाएगा।  यानी, ऐसी पॉलिसी के लिए इक्विटी-ऑरिएन्टेड फंडों की तरह ही टैक्स व्यवस्था होगी। इसलिए मैच्यॉरिटी पर मिलने वाले प्रॉफिट को कैपिटल गेन्स टैक्स माना जाएगा। ULIP में ये नया संशोधन 1 अप्रैल, 2025 से लागू होगा। 

सेक्शन 10(10डी) की शर्तें पूरी नहीं हुईं तो चुकाना होगा टैक्स

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के FAQs में कहा गया है, “अगर सेक्शन 10(10डी) की शर्तें पूरी नहीं होती हैं, तो बीमा पॉलिसी के तहत मिलने वाले रिटर्न कैपिटल गेन्स टैक्स (यूनिट-लिंक्ड बीमा पॉलिसी के लिए) या अन्य स्रोतों से इनकम (यूएलआईपी के अलावा अन्य पॉलिसी के लिए) के रूप में टैक्स लगाया जा सकता है।” 

कैपिटल गेन्स टैक्स

बताते चलें कि इक्विटी और इक्विटी म्यूचुअल फंड यूनिट्स की बिक्री पर हर साल 1.25 लाख रुपये से ज्यादा के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स पर 12.5 प्रतिशत का टैक्स लगता है, जबकि शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स (12 महीने से कम की होल्डिंग अवधि) पर 20 प्रतिशत का टैक्स वसूला जाता है। बजट 2024 में अलग-अलग ऐसेट क्लास में कैपिटल गेन्स टैक्स स्ट्रक्चर को युक्तिसंगत बनाया गया।

सेक्शन 10(10डी) क्या है

इनकम टैक्स एक्ट की धारा 10(10डी) के तहत, जीवन बीमा पॉलिसी के तहत प्राप्त कोई भी राशि, जिसमें ऐसी पॉलिसी पर बोनस भी शामिल है, टैक्स से मुक्त है। इसलिए पॉलिसीधारकों को मैच्यॉरिटी पर मिलने वाली राशि या पॉलिसीहोल्डर की मृत्यु पर नॉमिनी को मिलने वाला क्लेम अमाउंट टैक्स फ्री होता है। हालांकि, ये छूट कुछ शर्तों के साथ मिलती है। जहां सालाना प्रीमियम बीमित राशि के 10 प्रतिशत से ज्यादा है, ऐसे मामलों में टैक्स छूट का फायदा नहीं उठाया जा सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Trending

Exit mobile version