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सुरंग में फंसे 41 मजदूरों के पास बजी बीएसएनएल की घंटी, एक छोटा लैंडलाइन फोन भी पहुंचा

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12 नवंबर को मलबा आने की वजह से जब 41 मजदूर सुरंग के भीतर फंसे तो उनसे बातचीत का एकमात्र जरिया चार इंच का पाइप था, जिसमें बेहद धीमी आवाज आ रही थी। तीन दिन पहले एसडीआरएफ ने यहां कम्युनिकेशन डिवाइस लगाया। अब रविवार को बीएसएनएल ने भी अपना कम्युनिकेशन सेटअप लगा दिया।

सुरंग में 15 दिन से फंसे मजदूरों के पास रविवार को पहली बार बीएसएनएल की घंटी बजी। इसके लिए बीएसएनएल ने छह इंच के पाइप की मदद से अपनी लाइन पहुंचाने के साथ ही एक छोटा लैंडलाइन फोन भी पहुंचा दिया है।

अब बाहर बैठे रेस्क्यू अभियान के अधिकारी उनसे और बेहतर ढंग से संवाद स्थापित कर पा रहे हैं। 12 नवंबर को मलबा आने की वजह से जब 41 मजदूर सुरंग के भीतर फंसे तो उनसे बातचीत का एकमात्र जरिया चार इंच का पाइप था, जिसमें बेहद धीमी आवाज आ रही थी।

छोटे लैंडलाइन की मदद से की जा रही बातचीत
छह इंच का पाइप पहुंचने के बाद तीन दिन पहले एसडीआरएफ ने यहां कम्युनिकेशन डिवाइस लगाया, जिसके लिए माइक्रोफोन व स्पीकर भीतर भेजे गए थे। इसके माध्यम से लगातार मजदूरों से बातचीत की जा रही थी। रविवार को बीएसएनएल ने भी अपना कम्युनिकेशन सेटअप लगा दिया।

बीएसएनएल के डीजीएम पीके शर्मा ने बताया कि वहां एक्सचेंज स्थापित कर दिया गया है। बताया कि छह इंच के पाइप की मदद से भीतर लाइन पहुंचा दी गई है। एक छोटे लैंडलाइन की मदद से अब उनसे बातचीत की जा रही है।

कहा, जब कोई इधर से फोन करता है तो वहां घंटी बजती है। इसके बाद मजदूर उसके माध्यम से आसानी से बात कर पा रहे हैं। उन्होंने बताया कि मजदूरों को बाहर का नंबर बता दिया गया है। वे यहां बीएसएनएल के नंबर पर फोन कर पा रहे हैं। जब भी उन्हें कोई जरूरत होगी तो वह सीधे फोन घुमाएंगे और बचाव दल उस पर कार्रवाई कर सकेगा।

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