Connect with us
https://hindustannetwork.com/wp-content/uploads/2025/02/aisss2.jpeg

दुनिया

रूस के साथ युद्ध में यूक्रेन की जवाबी कार्रवाई में कितना दम?

Published

on

यूक्रेन के जनरलों का कहना है कि वे दक्षिण में रूस के फ़्रंटलाइन को ‘भेद’ चुके हैं.

हमने ये जानने की कोशिश की है कि यूक्रेनी सैन्यबल कितना आगे बढ़े हैं और फ्रंटलाइन पर भविष्य में किन सफलताओं के संकेत हैं.

यूक्रेन ने जून के शुरुआती दिनों में जवाबी कार्रवाई शुरू की थी, ताकि रूसी सेना ने जितनी ज़मीन कब्ज़ाई है, वहां से उन्हें पीछे धकेला जा सके. यूक्रेन ने 965 किलोमीटर लंबी फ़्रंटलाइन के तीन स्थानों पर हमला किया.

ज़पॉरज़िया शहर के दक्षिण-पूर्व का ये इलाका अभी तक रणनीतिक रूप से बेहद अहम है.

अज़ोव सागह की ओर से इस दिशा में हमला हुआ, और अगर ये सफल रहा तो इससे रूसी शहर रोस्तोव-ऑन-दोन से क्राइमिया तक की सप्लाई लाइन बिल्कुल कट जाएंगी.

हालांकि, ज़पॉरज़िया क्षेत्र के रोबोटाइन और वर्बाव गांवों के आसपास के इलाकों के अलावा अभी तक इस मोर्चे पर कोई ख़ास प्रगति नहीं हुई है. इसे ऊपर दिए गए मैप में पर्पल रंग में रेखांकित किया गया है.

अगर यूक्रेन आपूर्ति के इस मुख्य मार्ग को काटने में सफल रहता है तो फिर रूस के लिए उस क्राइमिया में अपने बड़े सैन्य बेड़े को बरक़रार रखना असंभव हो जाएगा, जिसपर उसने 2014 में अपना कब्ज़ा जमाया था.

कई बड़ी अड़चनों के बावजूद, दक्षिण के मोर्चे पर रूस के सुरक्षात्मक ढांचों में यूक्रेनी सैनिकों के घुसने के ठोस सबूत मिलते हैं.

हमने वर्बाव के पास फ़्रंटलाइन पर सात सोशल मीडिया वीडियो को वेरिफ़ाई (सत्यापित) किया है.

इनमें से चार वीडियो दिखाते हैं कि यूक्रेन के सैन्यबल वर्बोव के उत्तरी इलाकों में रूस के सुरक्षा घेरे में घुसे हैं.

हालांकि, ये वीडियो सिर्फ़ घुसपैठ दिखाते हैं. इनसे ये साबित नहीं होता कि यूक्रेन ने इन इलाकों पर नियंत्रण बना लिया है.

अब तक केवल यूक्रेनी इन्फ़ैंट्री ही आगे बढ़ रही है, और हम यूक्रेनी बख्त़रबंद टुकड़ियों को अंदर आते, या गैप का फ़ायदा उठाते हुए और ज़मीन पर कब्ज़ा करते हुए नहीं देख रहे हैं.

यूक्रेन की राह में कौन से रोड़े?

रूस ने ये जवाबी कार्रवाई बहुत पहले ही आते देखी और उसने कई महीनों से ऐसी बहुस्तरीय सुरक्षा प्रणाली का निर्माण किया है, जिससे तोड़ना दुनिया में सबसे मुश्किल है.

अंतरिक्ष से ये कुछ ऐसे दिखते हैं- बाधाओं की कई कतारें, खाइयां, बंकर और बारूदी सुरंगें…ये सब तोपखानों से ढके हुए हैं. इसके तथाकथित ‘ड्रैगन टीथ’ कंक्रीट से बने टैंक रोधी कंटीले कालीन हैं.

बड़ी-बड़ी बारूदी सुरंगों ने यूक्रेन की प्रगति को धीमा कर दिया है.

ये सुरंगें इस कदर फैली हुई हैं कि कुछ स्थानों पर एक वर्ग मीटर में पांच-पांच सुरंगें हैं.

यूक्रेन की इन सुरंगों को पार करने की पहली कोशिश जून महीने में असफल हुई थी. उस समय पश्चिमी देशों से मिले यूक्रेन के आधुनिक हथियार इन बारूदी सुरंगों की वजह से बेकार हो गए और जल गए.

यूक्रेनी इन्फ़ैंट्री का भी कुछ यही हाल हुआ और सुरंगों को पार करने की कोशिश में कई सैनिकों की जान गई.

वर्बाव में गिरे बमों से बने गड्ढे

युद्ध ने किस तरह इस इलाक़े को बदला है उसे देखने के लिए स्लाइडर को खींचें21 अगस्त

कीएव ने तबसे इन सुरंगों को साफ़ करना शुरू किया, कभी-कभी रातों में और कभी आग के नीचे. इसलिए, अभी तक इसमें प्रगति धीमी है.

यूक्रेन के टैंक और बख़्तरबंद वाहनों को रूस की बारूदी सुरंगों, ड्रोन और टैंक-रोधी मिसाइलों से खतरा है. नीचे दिए गए वीडियो को बीबीसी वेरिफ़ाई ने जांचा है. वीडियो में ब्रिटेन से मिला चैलेंजर 2 टैंक रोबोटाइन के पास धू-धू कर जलता दिखता है.

बड़ी संख्या में यूक्रेन के सैनिक तभी आगे बढ़ सकेंगे जब रास्ते साफ़ हो जाएं और जब यहां रूसी तोपखानों की क्षमता कमज़ोर कर दी जाए.

यूक्रेन की जवाबी कार्रवाई में आगे क्या?

किंग्स कॉलेज लंदन के वॉर स्टडीज़ डिपार्टमेंट की डॉक्टर मरीना मिरन कहती हैं, “यूक्रेन के साथ फिलहाल सबसे बड़ी समस्या ये है कि उन्हें फ़ौज में और सैनिकों की भर्ती शुरू करनी होगी.”

इस बीच रूस भी खुद को मज़बूत करने में जुटा हुआ है. ये युद्धक्षेत्र गतिशील है, स्थितियां हर दिन बदल रही हैं, और रूस अभी भी यूक्रेन की बढ़त को पलट सकता है.

हमने एक रूसी ड्रोन के वीडियो को जियोलोकेट किया है जो उन रिपोर्टों का समर्थन करता है कि वर्बोव शहर के करीब रूस ने विशिष्ट हवाई बल ‘वीडीवी’ को तैनात किया है. ये रूस का वो कदम है जिसका उद्देश्य यूक्रेन के जवाबी हमलों की वजह से किसी भी नुक़सान को टालना है.

लंदन स्थित थिंक टैंक RUSI में रूस के मामलों की विशेषज्ञ कैटरीना स्टेपानेंको कहती हैं, “यूक्रेनी सेना को जंग के मैदान में लगातार रूसी सैन्य बलों से प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है.”

“तोप, ड्रोन दागने के अलावा रूसी सैन्य बल इलेक्ट्रॉनिक वॉरफ़ेयर का भी बड़े स्तर पर इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसका मकसद यूक्रेन के सिग्नलों और ड्रोनों को काम करने से रोकना है.”

यूक्रेन ने तटीय क्षेत्र में बमुश्किल 10 फ़ीसदी प्रगति की है, लेकिन वास्तविकता इससे कहीं अलग है.

लगातार तीन महीनों तक भीषण हमले झेलने के बाद रूस की सेना अब थक चुकी है और संभवतः हतोत्साहित है. इनमें रूस की सप्लाई लाइन्स को निशाना बनाकर किए गए लंबी दूरी के हमले भी शामिल हैं.

यूक्रेन अगर रूस के बाकी सुरक्षात्मक घेरों में घुस जाए और जितना जल्द हो सके तोकमक शहर तक पहुंचे, तो इससे क्राइमिया की ओर जाने वाले रूस के रेल और सड़क आपूर्ति मार्ग उसके तोपखानों की जद में होंगे.

अगर वो ऐसा कर सकते हैं, तो इस जवाबी कार्रवाई को योग्य सफलता के तौर पर आंका जा सकता है.

शायद ये युद्ध पर विराम नहीं लगाएगा, जिसके 2024 और उसके बाद तक चलने की आशंका है. लेकिन इससे युद्ध में रूस की कोशिशें गंभीर रूप से कमज़ोर पड़ेंगी और जब कभी शांति वार्ता शुरू होगी तो यूक्रेन एक मज़बूत स्थित में होगा.

लेकिन यूक्रेन के लिए वक्त तेज़ी से भाग रहा है. कुछ सप्ताह के भीतर वहां बारिश का मौसम आ जाएगा, जिससे सड़कें कीचड़ में तब्दील हो जाएंगी और यूक्रेन को प्रगति करने में अड़चन बनेगी.

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों को लेकर अनिश्चितता भी एक बड़ा कारक है. अगर अमेरिका में रिपबल्किन उम्मीदवार राष्ट्रपति की कुर्सी पर बैठता है तो इससे यूक्रेन को मिलने वाली सैन्य सहायता में बड़ी कटौती हो सकती है.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन जानते हैं कि उन्हें मुश्किल भरी स्थिति मज़बूती से डटे रहना है. यूक्रेनियों को पता है कि उन्हें अपनी इस जवाबी कार्रवाई को सफल बनाना है.

Continue Reading
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *