Election Results 2023: राज्य की सत्ताधारी कांग्रेस चुनाव से पहले अपनी सात गारंटियों के लिए मुखर थी। वहीं, पलटवार में भाजपा ने जहां केंद्र सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को सामने रखा तो वहीं साथ में ध्रुवीकरण को भी साधने का काम किया।
राजस्थान में आज सत्ता की तकदीर और तस्वीर स्पष्ट हो गई है। यहां विधानसभा चुनावों में एक बार फिर रिवाज कायम रहा और सत्ताधारी पार्टी पांच साल बाद अपनी सत्ता गंवा बैठी। प्रदेश के चुनाव नतीजों में भाजपा ने 100 सीटों के जादुई आंकड़े से ज्यादा सीटें हासिल की हैं, जबकि कांग्रेस 70 सीटों पर अटकती दिख रही है।
अब चुनाव नतीजों के साथ राज्य में भाजपा के जीत के कारणों और कांग्रेस की हार की वजहों की भी चर्चा होने लगी है। इन्हीं में से एक मुद्दा ध्रुवीकरण का है, जो विधानसभा चुनाव के प्रचार में छाया रहा है। हम आपको बता रहे हैं कि राजस्थान के रण में कैसे हावी रहा ध्रुवीकरण।
साधु संतो को टिकट
राज्य की सत्ताधारी कांग्रेस चुनाव से पहले अपनी गारंटियों के लिए मुखर थी। इसने 500 रुपये के किफायती दाम में सिलेंडर, चिरंजीवी योजना में इलाज, महिलाओं के लिए मुफ्त मोबाइल को अपने प्रचार का हिस्सा बनाया। वहीं, पलटवार में भाजपा ने जहां केंद्र सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को सामने रखा तो वहीं साथ में ध्रुवीकरण को भी साधने का काम किया। इसी कड़ी में सबसे पहले भाजपा ने साधु-संतों को चुनाव मैदान में उतारकर हिंदुत्व कार्ड खेला। दिलचस्प तो यह भी है कि जिन सीटों पर साधु संत उतरे वहां पोलिंग अच्छी हुई।
राजस्थान में इस बार भाजपा ने एक भी मुस्लिम को अपना उम्मीदवार नहीं बनाया, जो दिन तीन दशक में पहली बार है। पिछली विधानसभा चुनाव में यूनुस खान एकलौते मुस्लिम प्रत्याशी थे, जो टोंक सीट पर कांग्रेस के सचिन पायलट के खिलाफ उतरे थे। हालांकि, पार्टी ने इस बार न युनूस खान को टिकट दिया और न ही अन्य किसी नए मुस्लिम चेहरे को उतारा। यूनुस बगावत कर निर्दलीय मैदान में उतरे और अपना चुनाव जीत गए।
इसके साथ ही पार्टी ने तीन मुस्लिम बहुल सीटों पर संतों को उतारा। तिजारा सीट पर भाजपा ने अलवर सांसद बाबा बालकनाथ को उतारकर आसपास समीकरण साधने की कोशिश की। बाबा बालकनाथ नाथ संप्रदाय से हैं। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भी इसी संप्रदाय से हैं। इसलिए बालकनाथ का नामांकन भरवाने के लिए योगी भी आए थे। कांग्रेस ने इमरान खान को उतारा था, जिन्हें बाबा बालकनाथ के हाथों हार झेलनी पड़ी।
जयपुर शहर की हवामहल मुस्लिम बाहुल्य मतदाताओं वाली सीट पर भाजपा ने महंत बालमुकुंदाचार्य को टिकट दिया था। उनके सामने जयपुर जिला कांग्रेस अध्यक्ष आरआर तिवाारी मैदान में थे। इस चुनाव में सीट पर भाजपा ने कब्जा किया। वहीं, जैसलमेर जिले की पोकरण सीट पर भाजपा ने महंत प्रतापपुरी और कांग्रेस ने मंत्री सालेह मोहम्मद को टिकट दिए थे। पिछली बार भी ये दोनों प्रत्याशी ही चुनाव मैदान में थे। इस बार महंत प्रतापपुरी ने बाजी मारी।
चुनाव प्रचार में बार-बार उठाया गया कन्हैयालाल का मुद्दा
पिछले साल जून उदयपुर में दर्जी कन्हैया लाल की दो व्यक्तियों ने हत्या कर दी थी। कन्हैया की भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा के समर्थन में एक सोशल मीडिया पोस्ट साझा करने के लिए गला काटकर हत्या कर दी थी। घटना इतनी भयावह थी कि हमलावरों ने घटना का वीडियो बनाया और खुद सोशल मीडिया ओर साझा किया था। हमलावर उनकी हत्या करने से पहले ग्राहक बनकर उसकी दुकान में घुसे थे।
घटना भले ही जून 2022 में हुई, लेकिन अक्तूबर-नवंबर 2023 में इसका मुद्दा खूब उठा। पीएम ने कई रैलियों में उदयपुर के कन्हैयालाल टेलर हत्याकांड का जिक्र करते हुए कांग्रेस सरकार पर वोट बैंक की राजनीति के आरोप लगाए। इसके अलावा गृह मंत्री अमित शाह, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने करीब-करीब हर इलाके में इस मुद्दे को उठाया।
शोभायात्रा पर हमलों को भी बनाया मुद्दा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत सभी बड़े भाजपा नेताओं ने पिछले दिनों राजस्थान में कुछ जगहों पर शोभायात्राओं पर हुई पत्थरबाजी का मुद्दा उठाया। पीएम मोदी ने एक सभा में आरोप लगाते हुए कहा था, ‘जब से यहां कांग्रेस की सरकार बनी है तब से राजस्थान में हर तीज-त्योहार के दौरान दंगे होते रहे हैं। एक तरह से हर वर्ष राजस्थान में कोई न कोई बड़ा दंगा जरूर हुआ है। मैं छोटे दंगों की बात नहीं कर रहा हूं। मैं बड़े दंगों की बात करता हूं, जिसने देश को चौंका दिया। अक्टूबर 2019 में टोंक में बड़ा दंगा, 2020 में डूंगरपुर में बड़ा दंगा, 2021 में झालावाड़ और बारां में दो बड़े दंगे और 2022 में फिर कांग्रेस ने जोधपुर और करौली को दंगों की आग में झोंक दिया।
पीएम ने अपने बयान में कहा था कि पिछले साल नववर्ष की शोभायात्रा के दौरान करौली में जो कुछ हुआ क्या आप लोग उसे भूल सकते हैं क्या। यहां पत्थरबाजी में कितने ही लोग लहू-लुहान हो गए, घायल हो गए, कितनों का व्यापार-कारोबार चौपट हो गया। कहीं परशुराम जयंती पर हमला, कहीं नववर्ष की शोभायात्रा पर हमला और कभी दशहरे के जुलूस पर हमला। ये हमले क्यों रुकते नहीं हैं भाई। ये हमले इसलिए नहीं रुकते हैं क्योंकि दंगों के आरोपी मुख्यमंत्री के आवास पर दावत करते हैं। ये अपराधियों को दावत दे क्या वो कांग्रेस आपकी रक्षा कर सकती है।