Politics

Nepal Updates: पीएम मोदी ने सुशीला कार्की को दी बधाई; अगले साल 5 मार्च को आम चुनाव, अब कैबिनेट विस्तार पर नजर

Published

on

नेपाल में हिंसक भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शनों के कुछ दिनों बाद धीरे-धीरे सामान्य स्थिति लौट रही है। इस बीच राष्ट्रपति ने एक ही पत्र से संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा को भंग करने और नए प्रधानमंत्री की नियुक्ति की घोषणा की, जो नेपाल की राजनीति में अभूतपूर्व घटना है। शपथ के बाद कार्की ने सभी मंत्रालय अभी अपने पास रखे हैं। शनिवार को कैबिनेट विस्तार होने की उम्मीद है।

नेपाल में तख्तापलट के तीन दिन बाद पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की अंतरिम प्रधानमंत्री बन गई हैं। संसद भंग करने के साथ छह महीने में उन्हें संसद यानी प्रतिनिधि सभा के चुनाव की जिम्मेदारी दी गई थी। उन्होंने अपने पहले फैसले में पांच मार्च, 2026 को आम चुनाव का एलान कर दिया। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने उनकी सिफारिश मंजूर कर ली। अब सभी की नजर कैबिनेट विस्तार पर लगी हुई है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्की को बधाई दी। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, ‘नेपाल की अंतरिम सरकार की प्रधानमंत्री का पदभार ग्रहण करने पर सुशीला कार्की को हार्दिक बधाई। भारत नेपाल के भाइयों और बहनों की शांति, प्रगति और समृद्धि के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।’

कैबिनेट में हो सकते हैं घीसिंग, बालेन
कार्की ने साफ किया है कि वह अपने कैबिनेट सदस्यों को चुनाव लड़ने से नहीं रोकेंगी। संभव है कि उनकी कैबिनेट में कुलमन घीसिंग, बालेंद्र शाह बालेन व सुमाना श्रेष्ठ को शामिल किया जाए। पीएम पद की दौड़ में बिजली बोर्ड के पूर्व सीईओ घीसिंग व काठमांडो के मेयर बालेन भी थे। सुमाना पूर्व शिक्षा मंत्री हैं। अंतरिम सरकार में जेन-जी का प्रतिनिधि नहीं होगा। हालांकि जेन-जी ने कहा कि वह अंतरिम सरकार के कामकाज पर कड़ी निगाह रखेंगे।

इससे पहले राष्ट्रपति पौडेल ने जेन-जी की सभी मांगें मानने का एलान किया और शुक्रवार रात नौ बजे कार्की को शपथ भी दिला दी। कार्की के नाम पर बृहस्पतिवार देर रात एक बजे ही सहमति बन गई थी। अलबत्ता संसद भंग करने पर एकराय नहीं बन पा रही थी। जेन-जी संसद भंग करने पर अड़े हुए थे। राष्ट्रपति भवन शीतल निवास में शुक्रवार को दोपहर दो बजे से शाम साढ़े सात बजे तक चली उच्चस्तरीय बैठक के बाद संसद भंग करने और कार्की को शपथ दिलाने का एलान किया गया। कार्की देश की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रही हैं और अब पहली महिला प्रधानमंत्री बनकर उन्होंने इतिहास रच दिया।

इससे पहले, राजनीतिक गतिरोध खत्म करने के लिए राष्ट्रपति पौडेल एवं सेना प्रमुख अशोकराज सिगडेल के नेतृत्व में हितधारकों के बीच बैठकों के कई दौर हुए। इनमें वर्तमान मुख्य न्यायाधीश प्रकाश मानसिंह राउत और आंदोलनकारी जेन-जी के प्रतिनिधि शामिल थे। सूत्रों के मुताबिक, सेना प्रमुख सिगडेल ने राष्ट्रपति को आपातकाल लगाने की सलाह दी है। माना जा रहा है कि कैबिनेट की पहली बैठक में इस पर निर्णय हो सकता है। 

राष्ट्रपति ने जेन-जी के प्रतिनिधियों के समक्ष संविधान के अनुच्छेद 61(4) का उपयोग करते हुए कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री एवं नई कैबिनेट बनाने और चुनावों की घोषणा का प्रस्ताव रखा। राष्ट्रपति ने एक ही पत्र से संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा को भंग करने और नए प्रधानमंत्री की नियुक्ति की घोषणा की, जो नेपाल की राजनीति में अभूतपूर्व घटना है। शपथ के बाद कार्की ने सभी मंत्रालय अभी अपने पास रखे हैं। शनिवार को कैबिनेट विस्तार होने की उम्मीद है।

यपालिका से अवकाश  के आठ साल बाद नई भूमिका
नेपाल में न्यायपालिका की मुखिया रहीं सुशीला कार्की ने अब अवकाश के करीब आठ वर्ष बाद कार्यपालिका की बागडोर संभाली है। बिहार से सटे विराटनगर से कानूनी पेशे से कॅरिअर शुरू करने वाली कार्की ने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से राजनीतिशास्त्र में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की थी।

कहा था- पीएम मोदी से बहुत प्रभावित हूं; कार्की को भारत समर्थक माना जाता है…
हाल में एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि मैं भारतीय नेताओं से बहुत प्रभावित हूं…भारतीय दोस्त मुझे बहन की तरह मानते हैं। मैं मोदीजी को नमस्कार करती हूं। उनके बारे में मेरी धारणा बहुत अच्छी है।

निष्पक्ष चुनाव कराने से लेकर भारत से रिश्ते बेहतर करने की चुनौती

  • कार्की के सामने बड़ी चुनौतियां हैं। सबसे पहले देश में अमन व कानून-व्यवस्था बहाल करनी होगी। प्रदर्शनकारियों ने सरकारी व निजी संपत्तियों को निशाना बनाया था। जेन-जी और मौजूदा नेताओं के समूहों से मंत्रिपरिषद बनाना भी कम चुनौतीपूर्ण नहीं होगा।
  • स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव कराने की भी बड़ी चुनौती है। मौजूदा हालात में सेना का समर्थन भी बनाए रखना होगा। साथ ही, दो अहम पड़ोसियों भारत व चीन के साथ अस्थिर संबंधों को संभालना होगा।

भ्रष्टाचार की निष्पक्ष जांच की शर्त मानने पर ही हुईं राजी

  • कार्की ने शपथ से पहले शुक्रवार को यह साफ कर दिया था कि वह तभी अंतरिम सरकार का नेतृत्व करेंगी, जब उन्हें उच्च पदों पर बैठे लोगों के भ्रष्टाचार की निष्पक्ष जांच करने दी जाएगी। साथ ही, वह पुलिस के बल प्रयोग के मामलों की भी स्वतंत्र जांच कराएंगी, जिसमें कई प्रदर्शनकारी मारे गए थे।
  • सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रपति पौडेल एवं राजनीतिक दलाें के नेताओं के साथ बैठक में कार्की ने साफ कहा कि मैं पूरी तरह लाचार रहूं, मेरे हाथ-पैर बंधे रहें, कोई फैसला न ले सकूं, तो ऐसा पद मैं कतई स्वीकार नहीं करूंगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Trending

Exit mobile version