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भारत

मनी लॉन्ड्रिंग केस : Jet Airways, नरेश गोयल की ₹538 करोड़ की संपत्ति जब्त

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नरेश गोयल को ईडी ने एक सितंबर को पीएमएलए के तहत गिरफ्तार किया था. उन्हें मुंबई की आर्थर रोड जेल में रखा गया है.

नई दिल्ली : 

जेट एयरवेज (इंडिया) लिमिटेड से जुड़े एक कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने 500 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति जब्त की है. इन संपत्तियों में लंदन, दुबई और भारत के अलग-अलग राज्यों में जेट एयरवेज (Jet Airways) के संस्थापक नरेश गोयल, पत्नी अनीता गोयल और बेटे निवान गोयल सहित कंपनियों और लोगों के नाम पर रजिस्टर्ड 17 आवासीय फ्लैट, बंगले और कामर्शियल बिल्डिंग शामिल हैं.

केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्डरिंग एक्ट (PMLA), 2002 के तहत कम से कम 538 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की है.

नरेश गोयल के अलावा कुछ संपत्तियां जेटएयर प्राइवेट लिमिटेड और जेट एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर रजिस्टर्ड हैं.

ईडी ने मंगलवार को केनरा बैंक द्वारा दायर कथित धोखाधड़ी मामले में नरेश गोयल और पांच अन्य के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था. बैंक ने एफआईआर में आरोप लगाया है कि उसने जेट एयरवेज को 848 करोड़ रुपये तक की क्रेडिट लिमिट और लोन सेंक्शन किए थे. इनमें से 538 करोड़ रुपये बकाया हैं.

नरेश गोयल को ईडी ने एक सितंबर को पीएमएलए के तहत गिरफ्तार किया था. उन्हें मुंबई की आर्थर रोड जेल में रखा गया है.

दूसरे देशों में ट्रस्ट बनाकर हेराफेरी का आरोप

प्रवर्तन निदेशालय ने आरोप लगाया है कि जेट एयरवेज के संस्थापक ने दूसरे देशों में ट्रस्ट बनाकर पैसे की हेराफेरी की. नरेश गोयल ने कथित तौर पर अचल संपत्तियों को खरीदने के लिए उन ट्रस्टों का इस्तेमाल किया. ईडी ने कहा है कि उन ट्रस्टों का पैसा अपराध की कमाई के अलावा कुछ नहीं है.

प्रवर्तन निदेशालय ने एक ऑडिट रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि जेट एयरवेज से लिए गए लोन का इस्तेमाल संपत्तियों के अलावा फर्नीचर, कपड़े और ज्वेलरी खरीदने के लिए किया गया था.

”सभी फंडों को मनी लॉन्ड्रिंग नहीं कहा जा सकता”

गत 12 सितंबर को अदालत में सुनवाई के दौरान, एक समय भारत की सबसे बड़ी निजी एयरलाइनों में से एक का संचालन करने वाले व्यवसायी नरेश गोयल ने कहा था कि एविएशन सेक्टर बैंक लोन पर चलता है और सभी फंडों को मनी लॉन्ड्रिंग नहीं कहा जा सकता है.

नरेश गोयल के वकील अब्बाद पोंडा, अमित देसाई और अमित नाइक ने अदालत को बताया कि उन्होंने अपने या परिवार के नाम पर न तो कोई लोन लिया न ही उनके लिए गारंटर के रूप में खड़े हुए. वकीलों ने कहा कि 2011 से पहले जेट एयरवेज द्वारा लिए गए बैंक लोन की एक बड़ी राशि का इस्तेमाल सहारा एयरलाइंस को खरीदने के लिए किया गया था.

”बैंकों से मिलने वाली फंडिंग पर चलता है एविएशन सेक्टर”

नरेश गोयल के वकील ने कहा, “यह व्यापार में एक ऐतिहासिक घटना है. सिर्फ जेट एयरवेज ही नहीं, अन्य एयरलाइंस भी संकट में हैं. एविएशन सेक्टर बैंकों से मिलने वाली फंडिंग के आधार पर चलता है; इन सभी को लॉन्ड्रिंग नहीं कहा जा सकता है.” वकील ने कहा, अर्थव्यवस्था में संकट था और इसीलिए उन्होंने कुछ भुगतान करने में चूक की.

अदालत ने कहा कि गोयल के बयानों से संकेत मिलता है कि वे अपने सभी बैंक खातों के साथ-साथ भारत और विदेशों में चल और अचल संपत्तियों का विवरण देने से बच रहे हैं.

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