रात में एसएसपी डॉ गौरव ग्रोवर ने नौसड़, ट्रांसपोर्टनगर और कालेसर में जाकर जाम की वजह को देखा। वहां पर रात में यह जानने की कोशिश की कि इस रोड पर किस वजह से जाम लगता है। अतिक्रमण कहां और किसने किया है। उन्होंने पुलिस को पूरी रिपोर्ट तैयार करने को कहा है, ताकि उस पर नगर निगम और जीडीए के साथ मिलकर कार्रवाई की जा सके।
गोलघर से लेकर काली मंदिर तक दुकानों के गलियारों पर कब्जा जमाए लोगों को नगर निगम ने आखिरी चेतावनी दी है। निगम ने पूरे बाजार में एनाउंस कराकर बताया है कि अब गलियारे से अपने अवैध कब्जा को हटा लें, नहीं तो उसे अभियान में तोड़ दिया जाएगा। नगर निगम के सख्त रुख के बाद व्यापारी नजूल की जमीन को 1990 के कानून का हवाला देकर अपना बता रहे हैं, लेकिन नगर निगम ने नियमानुसार नजूल की संपत्ति का बैनामा न होने का तर्क देकर अगले सप्ताह से अभियान की शुरुआत करने का फैसला कर लिया है।
गणेश चौराहा के पास दाहिनी ओर की दुकानों के गलियारे में दो लोगों ने पक्का निर्माण करवा लिया है। इसके अलावा होटल लेन में भी दुकानों के सामने सीढ़ी बन चुकी है। अब यहीं से नगर निगम के अभियान की शुरुआत होगी। दुकानदारों को नगर निगम की ओर से इसकी जानकारी देते हुए पुलिस भी जाकर चेता चुकी है।
निगम ने साफ कर दिया है कि ये संपत्ति सरकारी है और इस पर किसी भी तरह के अतिक्रमण की अनुमति नहीं दी जा सकती। गोलघर में भी जलकल भवन के पास दो-तीन दुकानदारों ने स्थायी निर्माण करवा लिया है। कुछ दुकानदारों ने दुकान के आगे ग्रिल लगाकर गलियारे पर कब्जा किया हुआ है।
रात में निकले जाम की वजह जानने निकले एसएसपी
रात में एसएसपी डॉ गौरव ग्रोवर ने नौसड़, ट्रांसपोर्टनगर और कालेसर में जाकर जाम की वजह को देखा। वहां पर रात में यह जानने की कोशिश की कि इस रोड पर किस वजह से जाम लगता है। अतिक्रमण कहां और किसने किया है। उन्होंने पुलिस को पूरी रिपोर्ट तैयार करने को कहा है, ताकि उस पर नगर निगम और जीडीए के साथ मिलकर कार्रवाई की जा सके।
दुकानदारों का दावा, नजूल की भूमि है हमारी
काली मंदिर से गणेश चौराहे के पास सरावगी कलर लैब की दुकान हैं। लैब के मालिक गौरी शंकर सरावगी का दावा है कि उनके पिता ने नजूल की जमीन को जिला प्रशासन से आवंटन पूर्व में करवा लिया था। 1992 में बाकायदा रजिस्ट्री भी हुई है। तहसील में राजस्व अभिलेखों में क्रेताओं का नाम भी बतौर स्वामी दर्ज करवा लिया गया था, लेकिन अतिक्रमण के दौरान पुलिस की टीम ने उन्हें अवैध कब्जेदार बताते हुए निर्माण के ध्वस्तीकरण का आदेश दे दिया।
सराफा मंडल की तरफ से रविवार को हुई बैठक में व्यापारियों ने इस मुद्दे को उठाया। अध्यक्ष अभिषेक शाही ने जिला प्रशासन पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि प्रशासन की तरफ से ही नजूल की भूमि का आवंटन किया गया था। अब उसी जमीन पर बने दुकान और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर नगर निगम की तरफ से कार्रवाई की जाएगी।
आरोप लगाया कि कचहरी चौराहे से लेकर यातायात तिराहे तक प्रशासन की ओर नजूल भूखंड को फ्री होल्ड नीति के तहत पट्टे पर आवंटित किया गया। उस दौरान इन चौराहों का आंकलन कर दुकानें आवंटित की गई थी। इन जमीनों पर जिलाधिकारी द्वारा बैनामा पंजीकृत करा दिया गया और उक्त पंजीकृत बैनामा के आधार पर तहसील में राजस्व अभिलेखों में क्रेताओं का नाम बतौर स्वामी दर्ज भी हो गया। लेकिन इसके बाद भी नगर निगम लगातार कार्रवाई की धमकी दे रहा है जो सरासर अन्याय है।
बैठक में संजय जालान, राजेश चंद कौशिक, गौरी शंकर सरावगी, रवि शंकर श्रीवास्तव, दीपक श्रीवास्तव , कार्तिकेय तिवारी समेत अन्य लोग मौजूद रहे।
नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने कहा कि सार्वजनिक रास्ते पर किसी कागज के आधार पर कब्जा संभव नहीं है। न ही इसे सही माना जा सकता है। आम लोगों की लगातार शिकायतें आती हैं कि बाजार में अवैध कब्जा कर लिया गया है। लोगों को बाजार में आने जाने में दिक्कत होती है। बाजार को सुंदरता और भव्यता बनाए रखने के लिए सभी अवैध कब्जों को तोड़ा जाएगा। अगले सप्ताह में गणेश चौराहे से अभियान शुरू होगा। इसके बाद चिन्हित दुकानों पर कार्रवाई बढ़ती जाएगी।