जी-20 में अफ्रीकी संघ की सदस्यता पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगे बढ़कर नेतृत्व कर रहे थे। जून में, मोदी ने जी-20 नेताओं को पत्र लिखकर अफ्रीकी संघ को समूह में पूर्ण सदस्यता देने की वकालत की। जुलाई में तीसरी जी-20 शेरपा बैठक में इस प्रस्ताव को औपचारिक रूप से मसौदा विज्ञप्ति में शामिल किया गया।
भारत की जी-20 अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण मील के पत्थर के रूप में अफ्रीकी संघ शनिवार को दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के समूह का नया स्थायी सदस्य बन गया। 1999 में स्थापना के बाद से यह गुट का पहला विस्तार है। भारत के प्रयासों से वैश्विक दक्षिण के प्रमुख क्षेत्र को किसी वैश्विक आर्थिक मंच पर पहली बार भागीदारी का मौका मिला है। अफ्रीकी संघ की सदस्यता का एलान करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उम्मीद जताई कि इससे जी-20 मजबूत होगा। वैश्विक दक्षिण की आवाज भी बुलंद होगी।
सम्मेलन में मोदी ने कहा, ‘सबका साथ’ के भाव के साथ भारत अफ्रीकी संघ की स्थायी सदस्यता का प्रस्ताव देता है। मोदी ने कोमोरोस संघ के अध्यक्ष और अफ्रीकी संघ (एयू) के अध्यक्ष अजाली असौमनी से उच्च मंच पर अन्य नेताओं के साथ शामिल होने के लिए कहा। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने उन्हें स्थायी सदस्यों के बीच उनकी सीट तक पहुंचाया। असौमानी ने स्थान ग्रहण करने से पहले पीएम मोदी से हाथ मिलाया और गले लगाया। इसके साथ ही 55-सदस्यीय अफ्रीकी संघ यूरोपीय संघ के बाद जी-20 का स्थायी सदस्य बनने वाला दूसरा बहु-राष्ट्र समूह बन गया। जी-20 अध्यक्ष के रूप में भारत वैश्विक दक्षिण या विकासशील देशों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से समावेशी विकास, डिजिटल नवाचार, जलवायु लचीलापन और समान वैश्विक स्वास्थ्य पहुंच जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
स्थायी सदस्यता के लिए पीएम मोदी ने जून में लिखा था पत्र जी-20 में अफ्रीकी संघ की सदस्यता पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगे बढ़कर नेतृत्व कर रहे थे। जून में, मोदी ने जी-20 नेताओं को पत्र लिखकर अफ्रीकी संघ को समूह में पूर्ण सदस्यता देने की वकालत की। जुलाई में तीसरी जी-20 शेरपा बैठक में इस प्रस्ताव को औपचारिक रूप से मसौदा विज्ञप्ति में शामिल किया गया।
सभी आवाजों को प्रतिनिधित्व जरूरी शिखर सम्मेलन से पहले पीएम मोदी ने कहा था कि पृथ्वी के भविष्य के लिए कोई योजना सबके प्रतिनिधित्व और मान्यता के बिना सफल नहीं हो सकती है। अफ्रीका भारत के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है और यह वैश्विक मामलों में उन लोगों को शामिल करने के लिए काम करता है, जिनकी आवाज नहीं सुनी जा रही है।
वैश्विक पुनर्निर्माण, सतत समाज की स्थापना का अनूठा अवसर : रामाफोसा दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने एक्स पर लिखा, कोरोना महामारी के बाद ‘वैश्विक पुनर्निर्माण’ कार्बन उत्सर्जन कम करने, सतत समाज की स्थापना का अनूठा अवसर है। इस संकट के लिए सबसे कम जिम्मेदारी के बावजूद, विकासशील अर्थव्यवस्थाएं जलवायु परिवर्तन का खामियाजा भुगत रही हैं। उन्होंने कहा, गरीबी, असमानता और जलवायु परिवर्तन, पर्यावरणीय गिरावट, अस्थिर उपभोग, उत्पादन और संसाधनों की कमी की चुनौतियों से एकजुटता के साथ ही निपटा जा सकता है। उन्होंने कहा, दक्षिण अफ्रीका सतत विकास के लिए एक संवर्धित और विस्तारित वैश्विक साझेदारी का आह्वान करता है। इसे विकास के वित्तपोषण पर अदीस अबाबा एक्शन एजेंडे पर अमल जरूरी है।
भारत वैश्विक दक्षिण की आवाज : सीआईआई भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने अफ्रीकी संघ को जी-20 में शामिल किए जाने को ग्लोबल साउथ के लिए भारत के प्रयासों से जोड़ते हुए कहा कि इससे साबित होता है कि भारत वैश्विक दक्षिण की आवाज न केवल मजबूती से उठा रहा है, बल्कि इसे सुना जा रहा है और काम भी हो रहा है।
नाइजीरिया में 8.4 करोड़ का निवेश स्टडी अब्रॉड प्लेटफॉर्म लीवरेज एडु ने अफ्रीकी देश नाइजीरिया में अपने परिचालन के विस्तार के लिए 8.4 करोड़ रुपये निवेश करने की घोषणा की है। कंपनी के सीईओ अक्षय चतुर्वेदी ने शनिवार को नाइजीरिया-भारत डिजिटल अर्थव्यवस्था वार्ता के दौरान यह घोषणा की।
55 देश हैं अफ्रीकी संघ का हिस्सा अदीस अबाबा में मुख्यालय वाले अफ्रीकी संघ (एयू) में अफ्रीकी महाद्वीप के 55 सदस्य देश शामिल हैं। 2002 में अफ्रीकी एकता संगठन के रूप में आधिकारिक मान्यता मिली। यह 1963 में 32 सदस्यों के साथ स्थापित अफ्रीका की आजादी के बाद की पहली महाद्वीपीय संस्था थी। गौरतलब है कि अफ्रीकी संघ के देशों की सामूहिक रूप से जीडीपी 3 लाख करोड़ डॉलर है। साथ ही 1.4 अरब जनसंख्या है।