China Belt And Road: चीन की अर्थव्यवस्था और बेल्ट एंड रोड परियोजना दोनों को कोरोना महामारी ने पीछे धकेल दिया है। चीन की आर्थिक समस्याओं के चलते बेल्ट एंड रोड परियोजना पर संकट के बादल छा गए हैं। चीन बीआरआई परियोजना की दसवीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है। लेकिन भारत इसमें भाग नहीं लेगा।
नई दिल्ली: चीन पूरी दुनिया पर अपना दबदबा बनाना चाहता है। इसी के लिए उसने बेल्ट एंड रोड परियोजना (BRI) की शुरुआत की थी। लेकिन अब चीन का हाल बेहाल है। चीन की अर्थव्यवस्था भी कोरोना के बाद पटरी से उतर चुकी है। अब चीन की यह एक ट्रिलियन डॉलर की बेल्ट एंड रोड परियोजना (बीआरआई) भी अधर में लटक गई है। यह परियोजना (Belt And Road) चीन के गले की फांस बन गई है। बता दें कि चीन ने साल 2013 में बेल्ट एंड रोड परियोजना शुरू की थी। साल 2023 तक चीन इस परियोजना में 139 देशों को जोड़ चुका है। चीन ने एशिया, अफ्रीका, यूरोप और लैटिन अमेरिका में अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए एक ट्रिलियन डॉलर खर्च किए हैं।
भारत ने किया बहिष्कार
चीन बाक़ी दुनिया के साथ दो नए ट्रेड रूट स्थापित करने की अपनी महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड परियोजना (बीआरआई) की दसवीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है। बीजिंग में 17-अक्टूबर को तीसरा बीआरआइ फोरम आयोजित किया जा रहा है। भारत लगातार तीसरी बार इस शिखर सम्मेलन का बहिष्कार करने के लिए तैयार है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले दो बीआरआई सम्मेलनों की तरह भारत इस साल की बैठक में भी हिस्सा नहीं लेगा। बता दें कि भारत अभी भी बीआरआई की अपनी आलोचना पर कायम है।
परियोजना पर अनिश्चितता के बादल
थिंक टैंक ग्रीन फाइनेंस एंड डेवलपमेंट सेंटर के अनुमान के मुताबिक, हालांकि इस परियोजना ने अपने पहले दशक में 1 ट्रिलियन डॉलर जुटाए हैं, लेकिन हाल के वर्षों में इसकी गति कम हो गई है। दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था धीमी होने के कारण BRI देशों में चीन की समग्र गतिविधि 2018 के शिखर से लगभग 40% कम हो गई है। बीजिंग पर गैरजिम्मेदार ऋणदाता होने के कारण देशों को डिफ़ॉल्ट की ओर ले जाने का आरोप लगता है। अमेरिका के साथ टूटे हुए संबंधों ने शी की पसंदीदा परियोजना के साथ संबंध को तेजी से विभाजनकारी बना दिया है। इटली वर्ष के अंत तक बाहर निकलने के लिए तैयार है।
कोरोना से लगा झटका
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन की इस परियोजना को कोविड और चीन की आर्थिक समस्याओं की वजह से दोहरा झटका लगा है। हालांकि चीन को उम्मीद है कि बीआरआई की 10वीं वर्षगांठ के अवसर पर होने वाला यह शिखर सम्मेलन इस परियोजना को फिर से मजबूत करेगा। एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने निजी बातचीत पर चर्चा करने के लिए पहचान उजागर न करने की शर्त पर कहा कि अमेरिका का आकलन है कि बीआरआई गहरे संकट में है। अधिकारी ने कहा कि बीजिंग के पास उधार देने के लिए बेहद कम पूंजी बची है। इससे उधार दिए गए बकाया पैसे की वसूली के लिए दबाव बढ़ रहा है।
चीन की अर्थव्यवस्था का हाल बेहाल
कोरोना के प्रकोप ने चीन के बुनियादी ढांचे और व्यापार पहल पर ब्रेक लगा दिया है। वैश्विक मंदी के कारण देनदारों की लोन चुकाने की क्षमता खतरे में पड़ गई है। जाम्बिया साल 2020 के अंत में महामारी के दौरान डिफ़ॉल्ट करने वाला पहला अफ्रीकी देश था। शंघाई स्थित फुडान के ग्रीन फाइनेंस एंड डेवलपमेंट सेंटर के एक अध्ययन के मुताबिक, इथियोपिया, श्रीलंका और पाकिस्तान सहित अन्य देश ऋण संकट में फंस गए हैं।
वैश्विक आर्थिक मंदी, बढ़ती ब्याज़ दरों और ज़्यादा महंगाई के कारण कई देशों को चीन से लिया क़र्ज़ चुकाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अरबों डॉलर के कर्ज़ चुकाए नहीं जा सके हैं जिससे विकास परियोजनाएं ठप हो गई हैं।