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Caste Census: ‘जातिगत जनगणना विभाजनकारी नहीं’, एनसीएससी के अध्यक्ष बोले- आंकड़ों से सामाजिक न्याय होगा मजबूत

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Caste Census: राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) के अध्यक्ष किशोर मकवाना ने जातिगत गणना से समाज में खाई पैदा होने के आरोपों को खारिज किया है। उन्होंने कहा है कि इस गणना के बाद उपलब्ध अधिक स्पष्ट आंकड़े नीति निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इससे सामाजिक न्याय को मजबूती मिलेगी।

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) के अध्यक्ष किशोर मकवाना ने जातिगत गणना से समाज में खाई पैदा होने के आरोपों को खारिज किया है। उन्होंने कहा है कि एकत्र किए गए आंकड़े नीतिगत निर्णय लेने में आधार के रूप में काम आएंगे। इससे सामाजिक न्याय को मजबूती मिलेगी। आयोग के मुखिया ने कहा कि इससे हाशिए पर पड़े पिछड़े समुदायों के उत्थान में मदद मिलेगी।

भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की ओर से अगली जनगणना में जातिगत गणना को शामिल किए जाने का मकवाना ने स्वागत कहा है। उन्होंने कहा कि 2011 से उलट इस बार, “निश्चित आंकड़े उपलब्ध होंगे” जिससे कल्याणकारी योजनाओं तक आनुपातिक पहुंच सुनिश्चित को सकेगी।

यूपीए सरकार ने 2011 में सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना करवाई थी, जो 1931 के बाद से देश भर में जाति के आंकड़े एकत्र करने की पहली कोशिश थी।  हालांकि, 2011 की जनगणना के जातिगत आंकड़े कभी भी पूरी तरह से जारी या उपयोग नहीं किए गए।

जातिगत जनगणना से सांप्रदायिक विभाजन पैदा होने की चिंताओं को खारिज करते हुए मकवाना ने कहा, “इससे जाति के आधार पर कोई विभाजन पैदा नहीं होगा। बल्कि, इससे सामाजिक न्याय मजबूत होगा।”
उन्होंने कहा, “यह पिछड़ी जातियों का उत्थान करेगा और अनुसूचित जाति समुदाय के लिए बाबासाहेब अंबेडकर के सपने के सभी तीन पहलुओं -सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक- को मजबूत करेगा।”

एनसीएससी अध्यक्ष ने कहा कि जाति जनगणना से सटीक आंकड़े मिलेंगे। इससे मुद्रा योजना जैसी योजनाओं के लाभार्थियों को बेहतर तरीके सुविधाएं दी जा सकेंगी। उन्होंने कहा, “इससे यह सुनिश्चित होगा कि जो लोग वंचित रह गए हैं, उन्हें अंततः उनका हक मिले।” मकवाना ने साफ किया कि एनसीएससी सीधे तौर पर गणना प्रक्रिया में शामिल नहीं होगी, लेकिन जनगणना के बाद नीति निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

उन्होंने कहा, “डेटा संग्रह में हमारी कोई भूमिका नहीं है। लेकिन डेटा सामने आने के बाद, आयोग की यह सुनिश्चित करने में भूमिका होगी कि अनुसूचित जातियों को अनुपात के आधार पर उनका उचित हिस्सा मिले। इस लिहाज से, यह सामाजिक न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम है।” केंद्रीय मंत्रिमंडल के निर्णय की सराहना करते हुए एनसीएससी अध्यक्ष ने कहा कि जाति जनगणना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समाज के अंतिम व्यक्ति के सामाजिक और आर्थिक उत्थान के दृष्टिकोण के अनुरूप है।

उन्होंने कहा, “यह निर्णय उस दृष्टिकोण को आगे ले जाता है। जो लोग पीछे रह गए थे, वे अब सशक्त होंगे।” उन्होंने कहा कि सटीक आंकड़ों से कल्याणकारी योजनाओं तक आनुपातिक पहुंच सुनिश्चित होगी। उन्होंने कहा, “निश्चित जनसंख्या डेटा के साथ, समुदायों को वह मिलेगा जिसके वे हकदार हैं। अभी, अनुमान के आधार पर लाभ दिए जा रहे हैं। एक बार जब हमारे पास संख्याएँ होंगी, तो उचित नीतिगत हस्तक्षेप किए जा सकेंगे।”

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