सर्दी के मौसम में पराली जलाने के बाद शहर की आबोहवा से लोगों का दम घुटने लगता है. हवा में प्रदूषण होने के बाद लोग तमाम बीमारियों से जूझते हैं. उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं में कमी लाने के लिए योगी सरकार निरंतर जागरूक अभियान चला रही है.
सर्दी के मौसम में पराली जलाने के बाद शहर की आबोहवा से लोगों का दम घुटने लगता है. हवा में प्रदूषण होने के बाद लोग तमाम बीमारियों से जूझते हैं. उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं में कमी लाने के लिए योगी सरकार निरंतर जागरूक अभियान चला रही है. इसके बाद भी परली जलाने को लेकर नियम न मानने वालों पर सख्ती कर जुर्माना आदि की कार्रवाई की जा रही है. इससे चलते साल दर साल पराली जलाने की घटनाओं में कमी आ रही है.
ये हैं आंकड़े… 2022 में पराली जलाने की 3017 घटनाएं हुई थीं, 2023 में अब तक 906 का आंकड़ा रिकॉर्ड किया गया है. फसल अवशेष प्रबंधन पर सरकार का काफी जोर है. यदि पराली जलाने की घटनाओं से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो 2022 में इससे जुड़े 3017 मामले सामने आए थे. योगी सरकार द्वारा चलाए जा रहे जागरूकता अभियान व सख्ती से 2023 के 10 महीने में महज 906 मामले ही सामने आए. आंकड़ों पर नजर डालें तो पराली जलाने के 2017 में 8784, 2018 में 6623, 2019 में 4230, 2020 में 4659, 2021 में 4242 मामले प्रकाश में आए थे. योगी सरकार के सख्त रवैये से निरंतर पराली जलाने के मामलों में कमी दर्ज की जा रही है.