अगर भारत शब्द कहा जाए तो लोग उसका क्या अर्थ निकालेंगे. हम सभी उसे कश्मीर से कन्याकुमारी और कच्छ से अरुणाचल प्रदेश तक एक भूमि प्रदेश की कल्पना करते हैं जिसमें लक्षद्वीप और अंडमान निकोबार द्वीप समूह भी शामिल हैं. लेकिन हकीकत यह है कि भारत केवल इतना ही नहीं है. भारत के आसपास बंगाल की खाड़ी, अरब सागर का काफी और हिंद महासागर की भी कुछ हिस्सा भारत के नियंत्रण में ही नहीं है बल्कि भारत का हिस्सा है. इसके अलावा इन महासागरीय इलाकों के आसपास के बड़े हिस्से से भारत और वह हिस्सा भारत से प्रभावित है. इसी को रेखांकित करने के लिए हर साल 5 अप्रैल को भारत नेशनल मैरीटाइम डे यानि राष्ट्रीय समुद्री द्विवस मनाता है.
समुद्री व्यापार क ऐतिहासिक महत्व भारत के समुद्री रास्तों के जरिए अंतरराष्ट्रीय संबंधों का लंबा इतिहास रहा है. प्राचीन काल से ही भारत के पूर्वी एशिया, मध्य पूर्व, अफ्रीका तक के देशों से हमारे दक्षिणी राज्यों के व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंध रहे हैं जिनकी झलक संस्कृति में आज भी दिखाई देती है. भारत की यूरोप तक ख्याति अरब देशों से होते हुए समुद्री व्यापार के जरिए ही पहुंचा करती थी यवनों से भारत के पुराने समुद्री व्यापारिक संबंध रहे हैं.
पाकिस्तान और चीन के मामले में भी स्वतंत्र भारत की सुरक्षा में हमारा ध्यान भले ही पाकिस्तान और चीन ने खींच रखा हो, लेकिन इन दोनों देशों से भी समुद्री रास्ते के जरिए युद्ध में भी अहमियत दिखाई देती है और आज भी चीन से बड़े खतरों में समुद्री रास्तों के रास्तों के जरिए घेरने की चीनी प्रयास कम बड़ा खतरा नहीं है. आज जिस तरह से चीन हिंद महासागर में अपने वर्चस्व के लिए गलत तरीके से दखलंदाजी करता है और अपना प्रभाव बढ़ाने का प्रयास करता है वह दुनिया तक के लिए चिंता का विषय है.
भारत की हिंद प्रशांत क्षेत्र में भूमिका देखने में आ रहा है कि भारत का जो अमेरिका, जापान, और ऑस्ट्रेलिया के साथ क्वाड का सहयोग हिंद प्रशांत क्षेत्र में बढ़ाया जा रहा है वह चीन की महत्वाकांक्षा को रोकने के कारगर सिद्ध हो सकता है. जिससे हिंद प्रशांत क्षेत्र में भारत और अन्य देश स्वतंत्र रूप से समुद्री व्यापारिक गतिविधियों को अंजाम दे सकें और किसी एक देश के अनुचित वर्चस्व को रोक सकें.