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मनोरंजन

गौरी ने शाहरुख खान का नाम बदलकर अभिनव रखने का कर लिया था फैसला, पीछे छुपी थी बड़ी वजह

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शाहरुख खान और गौरी खान लगभग 30 सालों से साथ हैं। दोनों की जोड़ी को लोग बहुत प्यार करते हैं। उनकी प्रेम कहानी और उनकी शादी का किस्सा आज भी लोगों के लिए इंस्पायरिंग है। वैसे दोनों को जिंदगी साथ बिताने के लिए कई पापड़ बेलने पड़े थे।

शाहरुख खान और गौरी सोशल मीडिया पर अपने प्यार का इजहार करने से कभी नहीं कतराते, चाहे वह प्यार भरी तस्वीरें साझा करना हो, टांग खींचना हो या फिर उनकी उपलब्धियों पर एक-दूसरे को प्रोत्साहित करना हो। तीन दशक पहले शादी के बंधन में बंधने के बाद से दोनों लोगों के लिए गोल सेट कर रहे हैं। हालांकि, एक समय ऐसा था जब गौरी के माता-पिता उनकी शादी के खिलाफ थे। शाहरुख के 58वें जन्मदिन पर इंडिया टीवी एक पुराना किस्सा लेकर आया है, जो उनकी पत्नी गौरी खान से ही जुड़ा हुआ है। उन्होंने 2008 में खुलासा किया था कि उनके माता-पिता शाहरुख से उनकी शादी के विचार से सहमत नहीं थे।

गौरी को अब बचकानी लगती है वो पुरानी बात

गौरी ने बताया कि अंतर-धार्मिक विवाह के लिए अपने माता-पिता को मनाना काफी चुनौती भरा था। शाहरुख एक अलग धार्मिक पृष्ठभूमि से आते थे और उनका फिल्म उद्योग में करियर बनाने का सपना था। इस स्थिति को उनके माता-पिता के लिए स्वीकार करना करना आसान नहीं था। ऐसे में उन्होंने शाहरुख खान का नाम बदलकर अभिनव रखने का फैसला किया। गौरी ने उम्मीद की ऐसा करने से वो अपने घर वालों को समझा पाएंगी कि शाहरुख हिंदू ही हैं। जब गौरी अब पीछे मुड़कर देखती है तो उन्हें अहसास होता है कि यह एक मूर्खतापूर्ण और बचकानी बात थी।

शाहरुख ने बच्चों को सिखाया था असल धर्म का पाठ

उसी साक्षात्कार में गौरी ने दोनों धर्मों के त्योहारों को अपनाने और मनाने के बारे में भी बात की। बात करते हुए उन्होंने कहा कि उनके बच्चों के लिए यह विविध सांस्कृतिक अनुभव वास्तव में अद्भुत है। आउटलुक टर्निंग पॉइंट के साथ 2013 के एक साक्षात्कार में शाहरुख खान ने यह भी बताया कि वह अपने बच्चों की धार्मिक पहचान के बारे में उनके सवालों को कैसे संभालते हैं। वह उन्हें बार-बार याद दिलाते हैं कि सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वे भारतीय हैं और उनका प्राथमिक धर्म मानवता होना चाहिए। इस बात को और अधिक यादगार और अहम बनाने के लिए उन्होंने अपने बच्चों को हिंदी फिल्म का गाना सुनाया था, जिसके बोल थे- ‘तू हिंदू बनेगा ना मुसलमान बनेगा – इंसान की औलाद है इंसान बनेगा’। इसके पीछे शाहरुख खान का मकसद अपने बच्चों को भाईचारे का भाव सिखाना था। 

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