यूक्रेन ने रूस के 5000+ किलोमीटर अंदर घुसकर इस हमले को अंजाम कैसे दिया? आमतौर पर ड्रोन्स की रेंज इतनी ज्यादा दूरी तक मार करने की नहीं होती, तो फिर यूक्रेन के ड्रोन्स चीन के सीमा से सटे रूसी एयरबेसों पर हमला करने में सफल कैसे हुए?
रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष को शुरू हुए तीन साल से ज्यादा समय हो चुका है। दोनों ही पक्षों की तरफ से अब तक एक-दूसरे पर जबरदस्त हमलों को अंजाम दिया गया है। खासकर रूस ने न सिर्फ यूक्रेन को सैन्य तौर पर नुकसान पहुंचाया है, बल्कि उसकी करीब 20 फीसदी जमीन पर भी कब्जा किया है। हालांकि, इस संघर्ष में करीब 39 महीने बाद एक नया मोड़ आया है। दरअसल, यूक्रेन ने 1 जून (रविवार) को रूस में ड्रोन हमलों को अंजाम दिया। 100 से ज्यादा ड्रोन्स के जरिए किए गए इस हमले में यूक्रेन ने रूस के 40 लंबी दूरी वाले बॉम्बर विमानों को तबाह कर दिया। यह बॉम्बर विमान परमाणु बमों को ले जाने में भी सक्षम हैं। यूक्रेन के इस हमले के बाद से ही इसे आधुनिक मय का ‘पर्ल हार्बर’ करार दिया जा रहा है।
बताया गया है कि यूक्रेन की तरफ से किए गए इस हमले ने रूस को बड़े स्तर पर नुकसान पहुंचाया है। इसे रूस के अंदर घुसकर किसी भी देश का अब तक का सबसे बड़ा हमला करार दिया जा रहा है। यूक्रेन की सुरक्षा एजेंसियों की मानें तो उनके हमले में रूस के हवाई मिसाइल लॉन्चरों के 34 फीसदी बेडे़ अब तबाह हो चुके हैं।
ऐसे में यह जानना अहम है कि आखिर यूक्रेन ने रूस के 4000 किलोमीटर अंदर घुसकर इस हमले को अंजाम कैसे दिया? आमतौर पर ड्रोन्स की रेंज इतनी ज्यादा दूरी तक मार करने की नहीं होती, तो फिर यूक्रेन के ड्रोन्स चीन के सीमा से सटे रूसी एयरबेसों पर हमला करने में सफल कैसे हुए? इस हमले में रूस को कितना नुकसान हुआ है? जिन ड्रोन्स के जरिए हमला किया गया, उनमें ऐसा क्या खास था कि रूस उन्हें गिरा नहीं पाया और यूक्रेन ने सटीक वारों को अंजाम दिया? मामले में रूस का क्या कहना है?
इस घटना को लेकर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने एक्स पर पोस्ट किया और बताया कि हमले में 117 ड्रोन्स का इस्तेमाल किया गया था। उन्होंने कहा, “यह यूक्रेन का सबसे लंबी दूरी तक अंजाम दिया गया अभियान था। रूस को काफी भारी नुकसान हुए हैं और यह उचित भी है। यूक्रेन की यह कार्रवाई इतिहास की किताबों में होगी।”
अब जानें- यूक्रेन ने इतने बड़े हमले को अंजाम कैसे दिया?
1. डेढ़ साल की प्लानिंग जेलेंस्की ने कहा कि रूस पर ड्रोन हमले की योजना बनाने का काम 18 महीने और 9 दिन पहले शुरू हो गया। पूरे हमले को यूक्रेन ने स्वतंत्र तौर पर अंजाम दिया। उनके बयान से साफ है कि हमले की जानकारी अमेरिका को नहीं दी गई थी और अमेरिकी अधिकारियों को इसकी भनक भी नहीं लगी। यूक्रेन ने इस जटिल सैन्य अभियान को स्पाइडर्स वेब (Spiders Web) यानी मकड़जाल नाम दिया था। इसकी वजह थी यूक्रेन के हमलों का फैलाव, जो कि रूस में हजारों किलोमीटर की दूरी पर मौजूद पांच एयरबेस पर एक साथ अंजाम दिया गया।
2. रूस की खुफिया एजेंसी के मुख्यालय के बगल में बनी योजना यूक्रेन की यह योजना सिर्फ कीव में ही नहीं, बल्कि उसके जासूसों ने रूस में बैठकर भी बनाई। इसके लिए यूक्रेनी जासूसों ने रूसी खुफिया एजेंसी एफएसबी के एक क्षेत्रीय मुख्यालय के पास अपना केंद्र बनाया।
3. यूक्रेन ने तस्करी के जरिए ड्रोन्स को रूस के अंदर पहुंचाया रिपोर्ट्स में दावा है कि यूक्रेन ने तस्करी कर इन ड्रोन्स को रूस के अंदर पहुंचाया।
यूक्रेन ने इस ड्रोन हमले को जिस तरह अंजाम दिया, उससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि हो सकता है कि ट्रक चालकों को पता भी न हो कि वे लकड़ी के घरों के साथ हमलावर ड्रोन्स को ले जा रहे हैं।
द इकोनॉमिस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, पहले कुछ महीनों में यूक्रेन ने उन क्षेत्रों को निशाना बनाया, जिनके करीब रूस अपने इन बॉम्बर एयरक्राफ्ट्स को खड़ा रखता था। यूक्रेन के हमलों के बाद रूस ने इन विमानों को उन अंदरूनी एयरबेसों पर पहुंचा दिया, जहां वह इन्हें बचाकर रख सके। बताया जाता है कि रूस ने 28 मई के करीब अपने करीब दर्जनभर बॉम्बर विमानों को मुरमांस्क प्रांत में ओलेन्या एयरफील्ड में पहुंचा दिया था। हालांकि, यूक्रेन की वृहद योजना यही थी और 1 जून को हुए ड्रोन हमले में सबसे ज्यादा नुकसान जिस एयरबेस को हुआ, वह ओलेन्या ही था।
रूस के अंदर यह हमले कहां-कहां हुए?
यूक्रेन के ड्रोन्स ने रूस के पांच क्षेत्रों- मुरमांस्क में ओलेन्या, इरकुत्स्क में बेलाया, इवानोवो में इवानोवो एयरबेस, रायाजन में डायागिलेवो और अमूर में यूक्रेंका एयरबेस पर हमले बोले। रूस ने इनकी पुष्टि करते हुए कहा कि इवानोवो, रायाजन और अमूर में हमलों का जवाब दिया गया। हालांकि, मुरमांस्क और इरकुत्स्क क्षेत्रों में ड्रोन्स का हमला काफी करीब से हुआ, जिसमें कई बॉम्बर एयरक्राफ्ट तबाह हुए। इन एयरफील्ड्स में आग भी लग गई। हालांकि, हमलों में कोई भी हताहत नहीं हुआ और आग पर काबू पा लिया गया। रूस का कहना है कि उसने हमले में शामिल कुछ संदिग्धों को गिरफ्तार किया है।
चौंकाने वाली बात यह है कि यूक्रेन ने पहली बार इरकुत्स्क एयरबेस पर हमले को अंजाम दिया, जो कि उसकी सीमा से 4300 किलोमीटर दूर स्थित है। इसके अलावा 5500 किलोमीटर दूर अमूर एयरबेस पर भी हमला बोला गया, जो कि रूस के पूर्व में दूरस्थ क्षेत्र में है और चीन की सीमा के करीब है।
एयरबेस
क्षेत्र
यूक्रेन सीमा से दूरी (किमी)
डायागिलेवो
रायाजन
700
इवानोवो
इवानोवो
900
ओलेन्या
मुरमांस्क
2000
बेलाया
इरकुत्स्क
4300
यूक्रेंका
अमूर
5500
हमले के लिए कौन से ड्रोन का इस्तेमाल हुआ
ऑस्ट्रेलिया के एबीसी मीडिया ग्रुप ने एक सैन्य अधिकारी के हवाले से बताया कि यूक्रेन का यह हमला पश्चिमी देशों को काफी कुछ सिखाने वाला है। इस अफसर ने कहा कि यूक्रेन ने जिन ड्रोन्स का इस्तेमाल किया वह साधारण क्वाडकॉप्टर्स थे, लेकिन ये फर्स्ट पर्सन व्यू (एफपीवी) ड्रोन्स थे, जिनमें बम लगे थे।
एफपीवी बाकी ड्रोन्स के मुकाबले छोटे होते हैं और इनके सामने कैमरा होता है। इससे दूर बैठे हमलावर इन्हें सामने के दृश्यों के आधार पर संचालित करता है। ऐसे एक ड्रोन की कीमत 4000 डॉलर (करीब 3.4 लाख रुपये) के करीब आंकी जाती है। यानी यूक्रेन का ड्रोन्स पर खर्च 6 करोड़ रु. के करीब रहा होगा।
एफपीवी ड्रोन्स के कैमरे के लाइव दृश्यों की वजह से हमलावर इनका इस्तेमाल बिल्कुल किसी एयरक्राफ्ट में उड़ान भरने के अनुभव की तरह ले सकता है और लक्ष्य पर सटीक निशाना भी साध सकता है।
यूक्रेन के हमले में रूस को कितना नुकसान हुआ?
हालांकि, यह नुकसान सिर्फ सैन्य और आर्थिक स्तर पर नहीं हुआ है, बल्कि कूटनीतिक स्तर पर भी हुआ है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि रूस पर यह हमला दूसरे विश्व युद्ध के दौरान हुए पर्ल हार्बर हमले की तरह है, जिसमें तब जापान ने अमेरिका को बड़ा नुकसान पहुंचाया था।
रूस-यूक्रेन संघर्ष में अब आगे क्या?
रूस और यूक्रेन के बीच 2 जून (सोमवार) को तुर्किये में संघर्ष विराम पर वार्ता होनी है। रूस का कहना है कि उसे यूक्रेन की तरफ से शांति के लिए ज्ञापन का ड्राफ्ट सौंपा गया है। यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की इस बैठक के लिए रक्षा मंत्री रुस्तम उमेरोव को भेज रहे हैं।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने फिलहाल कोई बयान नहीं दिया है। हालांकि, रूस का डेलिगेशन भी तुर्किये पहुंचेगा और इसका नेतृत्व क्रेमलिन में उच्चाधिकारी व्लादिमीर मेदिंस्की करेंगे।