नीट के जरिये होने वाले दाखिलों में फर्जीवाड़े की जड़ें काफी गहरी हैं। एमबीबीएस में फर्जीवाड़े का यह मामला कोई नया नहीं है। तीन साल पहले आयुष कॉलेजों में भी गड़बड़ियां हुई थीं। तब एमबीबीएस दाखिलों की जांच न देने पर सीबीआई आयुष कॉलेजों की जांच से पीछे हट गई थी।
उत्तर प्रदेश में नीट के तहत होने वाले दाखिलों में फर्जीवाड़े की जड़ें गहरी हैं। एमबीबीएस कोर्स में दाखिला लेने के लिए स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के आश्रित का फर्जी प्रमाण पत्र लगाने के मामले का खुलासा होने के बाद तीन साल पहले आयुष कॉलेजों में हुए दाखिलों में फर्जीवाड़े की यादें ताजा हो गई हैं। तब इस प्रकरण की जांच सीबीआई के सुपुर्द की गई थी।
सूत्रों की मानें तो राज्य सरकार ने बीएएमएस और बीएचएमएस और बीयूएमएस में दाखिलों की जांच का अनुरोध तो सीबीआई से किया था, लेकिन एमबीबीएस के दाखिलों में गड़बड़ी पर चुप्पी साध ली। इसी वजह से सीबीआई ने इस मामले की जांच को टेकओवर नहीं किया था।
फिलहाल मामले की जांच एसटीएफ के पास है
बता दें, तीन वर्ष पहले नीट के जरिये आयुष कॉलेजों में फर्जी एडमिशन होने की जांच एसटीएफ को दी गई थी जिसे बाद में राज्य सरकार ने सीबीआई को सौंपने का फैसला लिया था। हालांकि राज्य सरकार के अनुरोध के बाद भी सीबीआई ने इस मामले की जांच नहीं की। फिलहाल इस मामले की जांच एसटीएफ के पास है। अंतिम आरोप पत्र दाखिल करने की कवायद चल रही है।
इस मामले में तत्कालीन मंत्री और प्रमुख सचिव समेत कई कॉलेज प्रबंधकों की भूमिका के ठोस सुराग मिले थे जिसके बाद एसटीएफ ने कई कॉलेज संचालकों को गिरफ्तार भी किया था। हालिया प्रकरण में एमबीबीएस की तरह अन्य कोर्सों में भी दाखिले के लिए फर्जी प्रमाण पत्रों का इस्तेमाल करने की आशंका जताई जा रही है।
अल्पसंख्यक होने का फर्जी प्रमाण पत्र लगाया था
बीते वर्ष मेरठ के एक निजी मेडिकल कॉलेज में अल्पसंख्यक का फर्जी प्रमाण पत्र लगाकर एमबीबीएस कोर्स में दाखिला लेने का मामला भी सामने आया था। इसकी जांच ईओडब्ल्यू को सौंपी गई थी। फिलहाल ईओडब्ल्यू किसी भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकी है।