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Politics

Nayab Singh Saini: जाट लैंड में ओबीसी पर लगाया दांव, क्या बड़ा गुल खिलाएगा भाजपा का ये समीकरण?

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Nayab Singh Saini: जानकारों का कहना है कि भाजपा अपनी रणनीति के मुताबिक खुद तो गैर जाट समुदाय को साधने की कोशिश करेगी, जबकि जाट समुदाय को दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जजपा) के सहारे संभालेगी। हालांकि, पार्टी के ही कई नेता जजपा के साथ चुनाव में जाने को लेकर तैयार नहीं हैं.

भाजपा ने एक बार फिर अपने हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष की भूमिका में बदलाव कर दिया है। निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ को प्रदेश से हटाकर केंद्रीय टीम में राष्ट्रीय सचिव बना दिया गया है, जबकि उनके स्थान पर कुरुक्षेत्र से सांसद नायब सिंह सैनी को नया प्रदेश अध्यक्ष घोषित कर दिया है। ओम प्रकाश धनखड़ को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने के पीछे मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से उनकी तनातनी को वजह बताया जा रहा है। नायब सिंह सैनी भाजपा ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं।

जाट लैंड हरियाणा की पूरी राजनीति जाट समुदाय के इर्दगिर्द घूमती है। हर स्तर पर प्रभावी जाट समुदाय प्रदेश की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाता है। लेकिन भाजपा ने गैर जाट समुदायों को एकत्र कर हरियाणा की राजनीति में पहली बार गैर जाटों को हरियाणा की राजनीति के केंद्र में लाकर खड़ा कर दिया। गैर जाट मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बनाकर इसी रणनीति को आगे बढ़ाया गया था। अब तक ये रणनीति बेहद सफल रही थी।

नायब सिंह सैनी को लाकर भाजपा ने एक बार फिर संकेत दे दिया है कि वह गैर जाट सभी समुदायों को एक साथ लेकर हरियाणा को जीतने की रणनीति फिर आजमाएगी। चूंकि, भूपेंद्र सिंह हुड्डा और दीपेंद्र हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस एक बार फिर जाट समुदाय को अपने साथ लेकर राज्य की राजनीति में वापस आने की कोशिश कर रही है, भाजपा की योजना गैर जाट समुदाय को साधने की दिखाई पड़ रही है।

जानकारों का कहना है कि भाजपा अपनी रणनीति के मुताबिक खुद तो गैर जाट समुदाय को साधने की कोशिश करेगी, जबकि जाट समुदाय को दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जजपा) के सहारे संभालेगी। हालांकि, पार्टी के ही कई नेता जजपा के साथ चुनाव में जाने को लेकर तैयार नहीं हैं। लेकिन दोनों ही दलों के शीर्ष नेता अब तक साथ में चुनाव में उतरने की बात कह रहे हैं।

बिखराव हो सकता है

हरियाणा भाजपा के एक नेता ने अमर उजाला को बताया कि प्रदेश में जाट समुदाय पार्टी से लगातार दूर हो रहा है। चौधरी वीरेंद्र सिंह जैसे नेता लगातार पार्टी को गलत रास्ते पर जाने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अज्ञात दबाव में पार्टी उसी दिशा में आगे बढ़ रही है जो उसे जमीन पर कमजोर करेगी।

नेता के मुताबिक, राज्य के सबसे प्रभावी समुदाय को प्रदेश अध्यक्ष या मुख्यमंत्री में से एक पद देकर उसे संतुष्ट किया जाना चाहिए था। ओम प्रकाश धनखड़ को इसीलिए प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर लाया गया था। लेकिन दोनों ही पदों पर गैर जाट के होने से राज्य के समीकरण प्रभावित हो सकते हैं। पार्टी के हरियाणा अध्यक्ष रहते हुए ओम प्रकाश धनखड़ ने संगठन को मजबूत करने के लिए बहुत काम किया और पार्टी को मजबूत करने की कोशिश की। लेकिन उनके जाने के बाद कार्यकर्ताओं की उपेक्षा हो सकती है जिससे पार्टी में असंतोष बढ़ सकता है।  

किसान आंदोलन के समय से ही विभिन्न कारणों से जाट समुदाय भाजपा से खिंचा-खिंचा हुआ है। इसे दूर करने की कोशिश की गई थी, जो विकल्प की कमी के कारण आंशिक तौर पर सफल हो गई थी। लेकिन दीपेंद्र हुड्डा के सक्रिय होने के बाद ये समीकरण बदल सकते हैं। नेता ने कहा कि प्रदेश में सबसे ज्यादा उपेक्षा ब्राह्मण समुदाय की हुई है। उसे अब तक कोई प्रभावी भूमिका नहीं दी गई है। सैनी की जगह यदि किसी ब्राह्मण चेहरे से संतुलन बनाया गया होता तो वह बेहतर परिणाम दे सकता था।

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