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Politics

घूसकांड : महुआ मोइत्रा ने एथिक्स कमेटी के सामने पेश होने के लिए 5 नवंबर के बाद का समय मांगा

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टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा ने 31 अक्‍टूबर को एथिक्‍स कमेटी के सामने पेश होने में असमर्थता जताई है. उनका कहना है कि वह 5 नवंबर के बाद ही कमिटी के सामने पेश हो पाएंगी.

नई दिल्‍ली : 

तृणमूल कांग्रेस की सदस्य महुआ मोइत्रा (Mahua Moitra) ने एथिक्‍स कमेटी (Ethics Committee) के प्रमुख विनोद कुमार सोनकर  (Vinod Kumar Sonkar) को पत्र लिखकर 31 अक्‍टूबर को पेश होने में असमर्थता जताई है. उनका कहना है कि वह 4 नवंबर तक कार्यक्रमों में व्‍यस्‍त हैं. महुआ का कहना है कि उन्‍हें पेश होने के लिए 5 नवंबर के बाद की तारीख दी जाए. आरोप है कि कारोबारी दर्शन हीरानंदानी ने संसद में प्रश्न पूछने के लिए तृणमूल सांसद को पैसे दिये (cash for query)  थे. हालांकि, महुआ ने अपने ऊपर लग रहे आरोपों को राजनीति से प्रेरित करार दिया है.  

महुआ ने उठाए सवाल…
एथिक्स कमेटी के अध्‍यक्ष ने 7 बजकर 20 मिनट पर मुझे ईमेल किए गए आधिकारिक पत्र से बहुत पहले लाइव टीवी पर मेरे 31/10 समन की घोषणा कर दी. सभी शिकायतें और स्वत: संज्ञान संबंधी हलफनामे भी मीडिया पर जारी किए गए. मैं 4 नवंबर को अपने पूर्व-निर्धारित निर्वाचन क्षेत्र के कार्यक्रमों के समाप्त करने के तुरंत बाद कमेटी के सामने पेश होने के लिए तैयार हूं. 

महुआ मोइत्रा को 31 अक्टूबर को पेश होने के लिए कहा था
महुआ मोइत्रा के खिलाफ ‘पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने’ के आरोपों के संबंध में वकील जय अनंत देहाद्रई और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद निशिकांत दुबे ने बृहस्पतिवार को लोकसभा की आचार समिति के समक्ष पेश होकर अपने बयान दर्ज करवाए. एथिक्‍स कमेटी के अध्‍यक्ष विनोद कुमार सोनकर ने पहले ही कहा था कि अगर जरूरत पड़ती है, तो पूछताछ के लिए महुआ मोइत्रा को भी बुलाया जा सकता है. विनोद कुमार सोनकर की अध्यक्षता वाली समिति ने इस मामले में आरोपों से घिरी महुआ मोइत्रा को 31 अक्टूबर को पेश होने के लिए कहा था. 
एथिक्‍स कमेटी ने तृणमूल सांसद के खिलाफ आरोपों की जांच में गृह और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालयों से सहायता मांगी है. कमेटी ने महुआ की ट्रैवल डिटेल और लॉगइन का विवरण मंत्रालयों से मांगा है. दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मोइत्रा के खिलाफ शिकायत की थी जिसमें देहाद्रई द्वारा साझा किये गये दस्तावेजों का उल्लेख किया है। बिरला ने मामले को भाजपा के सांसद विनोद कुमार सोनकर की अध्यक्षता वाली आचार समिति को भेज दिया था।

समिति ने बृहस्पतिवार को वकील जय अनंत देहाद्रई और भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे के बयान दर्ज किए. सूत्रों ने बताया कि समिति के समक्ष अपने बयान में दुबे ने मोइत्रा अयोग्य ठहराने की पैरवी करते हुए कहा कि यह मामला संसद की गरिमा से जुड़ा है और राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा है. उन्होंने कहा कि यह एक स्पष्ट मामला है और यहां तक ​​कि व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी ने भी कथित तौर पर मोइत्रा को रिश्वत देने का आरोप स्वीकार कर लिया है. निशिकांत दुबे ने अपनी बात के पक्ष 2005 में 11 सांसदों के निष्कासन का हवाला दिया, जो एक स्टिंग ऑपरेशन में संसद में प्रश्न पूछने के लिए रिश्वत लेते पकड़े गए थे.

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