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कृषि

 त्योहारी सीजन में बढ़ने वाली है महंगाई, दिवाली से पहले सरकार ने क्यों उठाया यह कदम?

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केंद्र सरकार का कहना है कि देश में गेहूं का पर्याप्त भंडार है. आने वाले दिनों में गेहूं की कोई किल्लत नहीं होगी. खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा की माने तो कृत्रिम वजह से गेहूं की कीमतें बढ़ रही हैं. जल्द ही इसके ऊपर भी नियंत्रण पा लिया जाएगा.

गेहूं की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार ने कमर कस ली है. उसने गेहूं की स्टॉक लिमिट को घटाकर कम कर दिया है. इसका मतलब यह हुआ कि अब व्यापारी, थोक विक्रेता और चेन रिटेलर स्टॉक लिमिट से ज्यादा गेहूं का भंडारण नहीं कर सकते हैं. यदि वे 2,000 टन से ज्यादा गेहूं का स्टॉक अपने गोदामों में रखते हुए पाए जाते हैं, तो वह जमाखोरी माना जाएगा और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है.

वहीं, खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा का कहना है कि गेहूं की कीमतों में बढ़ोतरी को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने गेहूं की स्टॉक लिमिट घटाने का निर्णय लिया है. उनकी माने तो गुरुवार से ही व्यापारी, थोक विक्रेता और बड़ी चेन रिटेलर 2,000 टन से ज्यादा गेहूं का स्टॉक नहीं कर पाएंगे.

गेहूं की कीमत में 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है

बता दें कि 3 महीने पहले 12 जून को केंद्र सरकार ने गेहूं की स्टॉक लिमिट तय की थी. तब उसने आदेश दिया था कि गेहूं कारोबारी मार्च, 2024 तक 3,000 टन तक गेहूं का स्टॉक कर सकते हैं. लेकिन इसी बीच गेहूं महंगा हो गया, जिसके चलते खाद्य पदार्थों की कीमतें भी बढ़ गईं. ऐसे में कालाबाजारी को रोकने के लिए सरकार ने गेहूं की स्टॉक लिमिट घटा दी. खास बात यह है कि पिछले एक महीने में एनसीडीईएक्स पर गेहूं की कीमत में 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जो अब बढ़कर 2,550 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है.

दलहनों की भी स्टॉक लिमिट तय की थी

बता दें कि मानसून के आगमन के साथ ही देश में महंगाई बढ़ गई है. सिर्फ गेहूं ही नहीं, बल्कि चावल, चीनी और अन्य खाद्य पदार्थों की कीमत में भी बंपर उछाल आई है. खास बात यह है कि सबसे ज्यादा महंगी अरहर दाल हो गई है. पिछले एक साल के अंदर इसकी कीमत में 45 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. यानि इसका रेट 40 रुपये किलो से ज्यादा महंगा हो गया है. अब दिल्ली में अरहर दाल 155 से 160 रुपये किलो बिक रही है. यही वजह है कि केंद्र सरकार ने बीते महीने दलहनों की भी स्टॉक लिमिट तय कर दी थी.

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