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हेल्थ

मोतियाबिंद की जानकारी , बचाव व ईलाज, (श्री साईं नेत्रालय , 10 न. बोरिंग , गोरखपुर ) – डॉ. ए. पी. त्रिपाठी

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मानव के शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग आँख होती है जिससे वह संसार की सभी तरह की गतिविधियों के साथ सुन्दरता का आनंद ले पाता है। लेकिन यदि आँख में ज़रा-सा भी कुछ हो जाए तो मानो जान निकल जाती है। आँखों की देखभाल बेहद आवश्यक है और बढ़ती उम्र के साथ तो ख़ासकर ध्यान रखना ज़रूरी हो जाता है। बढ़ती उम्र के साथ अक्सर देखा गया है कि 50 से अधिक उम्र के लोगों को मोतियाबिंद की समस्या हो जाती है। लेकिन, आखिर मोतियाबिंद क्या है?

DR. A. P. TRIPATHI, MS, ( EYE ) SRI SAI NETRALAYA, 10 NO. BORING, GORAKHPUR

मोतियाबिंद क्या है ? 

मोतियाबिंद को अंग्रेजी में कैटरेक्ट (cataract) कहा जाता है। मोतियाबिंद आँखों की वह समस्या जिसमें धीरे-धीरे आँखों की रोशनी में धुंधलापन आने लगता है जिससे दिखाई देना कम हो जाता है। मोतियाबिंद की बीमारी जन्मजात भी हो सकती है। मोतियाबिंद एक आँख में भी हो सकता है या फिर दोनों आँखों में भी हो सकता है। आम भाषा में कहा जाए तो आँखों के लेंस के ऊपर एक तरह की परत का जम जाना, इसके कारण आँखों की रोशनी धीरे-धीरे कम हो जाती है।

मोतियाबिंद का कारण क्या है?

  • बढ़ती उम्र
  • डायबिटीज की समस्या
  • आंख में किसी तरह की चोट या सूजन होना
  • धूम्रपान का सेवन
  • अल्ट्रावायलेट रेडिएशन के संपर्क में आना
  • रेडिएशन थेरेपी
  • अनुवांशिक

मोतियाबिंद के क्या लक्षण होते हैं?

  1. आँखों से धुंधला या स्पष्ट न दिखाई देना- यदि किसी को मोतियाबिंद की शिकायत हो, तो उसे आँखों से साफ़ नही दिखाई देगा या ज्यादा नंबर का चश्मा लगाने के बाद भी धुंधला दिखाई देगा।
  2. शाम होने के बाद देखाई देने में मुश्किल होना- मोतियाबिंद की बीमारी में धुंधला दिखाई देता है, साथ ही कई तरह के अध्ययनों के बाद यह पता चला है कि रात के समय में 13% कार दुर्घटनाएं मोतियाबिंद के मरीजों की वजह से होती है।
  3. दो दिखाई देना- मोतियाबिंद के रोग में धुंधला दिखाई देने के सिवा एक अन्य लक्षण यह है कि कोई भी वस्तु, रोगी को दो दिखाई देती है। इस रोग का तब तक पता नहीं लग पाता, जब तक डॉक्टर पूर्ण रूप से जाँच कर पुष्टि न कर दें।
  4. रोशनी के प्रति संवेदनशीलता- यदि किस भी प्रकार की रोशनी, लाइट, चमक आंखों पर पड़ने के कारण आँखों में पीड़ा महसूस हो, तो समझा जा सकता है कि वह मनुष्य मोतियाबिंद का शिकार हो चूका है।
  5. रंगों को पहचाने में उलझन- मोतियाबिंद के रोग का एक अन्य लक्षण है भी कि रंगों को पहचाने में दिक्कत का सामना करना। उदाहरण के रूप में देखा जाए तो मोतियाबिंद के मरीज़ को ब्लैक, ब्लू और पर्पल यह तीनों ही रंग एक सामान लगते हैं।

COL (DR) ANURAG KAMAL, SRI SAI NETRALAYA, 10 NO. BORING, GORAKHPUR

मोतियाबिंद कितने प्रकार के होते हैं?

  1. सेकेंडरी मोतियाबिंद (Secondary cataract) इस मोतियाबिंद में ग्लूकोमा (glaucoma) के लिए हुई सर्जरी के बाद होने की संभावना होती है।
  2. ट्रॉमेटिक मोतियाबिंद (Traumatic cataract)- आँख में लगी किसी चोट के कारण होने वाले मोतियाबिंद को ट्रॉमेटिक मोतियाबिंद कहा जाता है। चोट के कई साल गुजरने के बाद भी मोतियाबिंद हो सकता है।
  3. कन्जेनिटल मोतियाबिंद (Congenital cataract)- यह जन्मजात या बचपन से होने वाला मोतियाबिंद होता है। यह मोतियाबिंद काफी अधिक छोटा होने के कारण आंख की दृष्टि को प्रभावित नहीं करता।  लेकिन बढ़ती उम्र के साथ आंख के लेंस बदलने पड़ सकते हैं।
  4. रेडिएशन मोतियाबिंद (Radiation cataract)– कुछ मोतियाबिंद का कारण रेडिएशन के संपर्क में आने से होता है।

DR. DIVA KANT (RETINA SURGEON) SRI SAI NETRALAYA, 10 NO. BORING, GORAKHPUR

मोतियाबिंद से किस तरह बचाव किया जाए?

  1. समय पर आँखों की जाँच- प्रति वर्ष आँखों के डॉक्टर से जाँच करवाएं, जिससे आप अपनी आँखों के प्रति सावधानी बर्त सकेंगे।
  2. खान-पान का ध्यान- अपने आहार का पूर्ण ध्यान रखें, इसलिए अपने भोजन में हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन अधिक करें। साथ ही विटामिन ए और विटामिन सी युक्त फलों का भी सेवन शुरू कर दें।
  3. चश्मा- यदि आपको नंबर का चश्मा लगा हुआ तो डॉक्टर की सलाह अनुसार उसे पहने और प्रति वर्ष आँखों की जाँच करवाएं। अगर आप धुप के संपर्क में अधिक रहते हैं तो धुप वाले चश्मे का इस्तेमाल ज़रूर करें, जिससे आपकी आँखों का बचाव हो सकें।
  4. रोग- अगर आपको मधुमेह,रक्तचाप आदि जैसी समस्या है तो नियमित रूप से डॉक्टर से जाँच करवाते रहें।
  5. नशे- किसी भी तरह का नशा शरीर को नुक्सान पहुंचाता है इसलिए जल्द से जल्द नशे का सेवन बंद कर दें।

DR. PIYUSH MISHRA, EYE (PEDIA) SRI SAI NETRALAYA, 10 NO. BORING, GORAKHPUR

मोतियाबिंद का इलाज

मोतियाबिंद का इलाज मरीज की दृष्टि पर निर्भर करता है क्योंकि किसी-किसी केस में चश्मे के नंबर लेंस को बदल कर भी इलाज संभव है। यदि मोतियाबिंद का स्तर बढ़ जाए तो सर्जरी की जाती है।

मोतियाबिंद सर्जरी में क्या किया जाता है?

डॉक्टर सबसे पहले आपकी आँखों में दवाई डालकर आँखों की पुतली की प्रतिक्रिया को देखने के बाद ही  मोतियाबिंद ऑपरेशन (motiyabind operation) की सलाह देता है। मोतियाबिंद सर्जरी में आँखों के लेंस को हटाकर एक आर्टिफिशियल लेंस लगया जाता है। सर्जरी के बाद कुछ दिनों तक आँखों से पानी आना, कम दिखना आम बात होती है, लेकिन यदि दर्द या रोशनी कम रहती है तो डॉक्टर से मिलें। साथ ही ध्यान रखें कि सर्जरी के बाद कुछ हफ्तों तक आँखों में धूल व पानी न जाए। डॉक्टर द्वारा बताई गयी, आई ड्राप समय पर डालें।

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