Donald Trump On India-China: अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान दुनियाभर के देशों के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अब अपने फैसलों से पछता रहे हैं। टैरिफ वॉर के बीच चीन में एससीओ समिट के दौरान सामने आई तस्वीरों से ट्रंप नरम पड़ गए हैं।
अमेरिका की तरफ भारत पर लगाए गए टैरिफ के बाद दोनों देशों के बीच तनाव देखने को मिल रहा है। इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार भारत पर निशाना साधते नजर आ रहे थे। लेकिन चीन में हाल ही में संपन्न हुए एससीओ सम्मेलन के बाद अब ट्रंप के तेवर नरम पड़ते दिख रहे हैं। ट्रंप ने सोशल मीडिया ट्रुथ सोशल पर लिखा कि, लगता है हमने भारत और रूस को चीन के हाथों खो दिया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को सोशल मीडिया ट्रुथ पर पोस्ट में एक तस्वीर भी शेयर की है। इस तस्वीर में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग नजर आ रहे हैं। इस पोस्ट में डोनाल्ड ट्रंप ने लिखा कि, लगता है कि हमने भारत और रूस को गहरे, अंधकारमय चीन के के हाथों खो दिया है। ईश्वर करे कि उनका भविष्य लंबा और समृद्ध हो।’
एससीओ समिट ने खींचा विश्व का ध्यान
ट्रंप की यह टिप्पणी पर उस समय आई है जब पिछले दिनों चीन के तिआनजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की नजदीकियों ने विश्व का ध्यान खींचा था। भारत-अमेरिका संबंधों में खटास तब और गहरी हो गई जब ट्रंप प्रशासन ने भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ दोगुना कर 50 प्रतिशत कर दिया और साथ ही रूस से कच्चा तेल खरीदने पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क भी लगा दिया।
ट्रंप के पोस्ट पर विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया
वहीं अपने साप्ताहिक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस पोस्ट को लेकर सवाल पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘इस समय इस पोस्ट पर मेरी कोई टिप्पणी नहीं है।’
पूर्व अधिकारियों ने ट्रंप को दी भारत से संबंध सुधारने की नसीहत
वहीं इससे पहले तमाम पूर्व अमेरिकी अधिकारियों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भारत के साथ संबंध सुधारने की नसीहत दी थी। इस कड़ी में पूर्व अमेरिकी एनएसए जॉन बोल्टन ने कहा कि ‘ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका-भारत संबंधों को दशकों पीछे धकेल दिया है, जिससे पीएम मोदी रूस और चीन के करीब चले गए हैं। बीजिंग ने खुद को अमेरिका और डोनाल्ड ट्रंप के विकल्प के रूप में पेश किया है।’ पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जेक सुलिवन और पूर्व उप विदेश मंत्री कर्ट एम. कैंपबेल ने एक लेख में लिखा कि अमेरिका और भारत के संबंध को दोनों ही दलों (डेमोक्रेट और रिपब्लिकन) का समर्थन मिला है। इन संबंधों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की मनमानी को भी रोका है। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका के साझेदारों को भारत को यह समझाने की कोशिश करनी चाहिए कि ट्रंप का व्यवहार अक्सर किसी समझौते की शुरुआत का संकेत होता है।